
Basti : उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अपने आदेश में कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में कोरोना काल में वालंटियर तथा कोविड अवधि में सेवा प्रदान करने वाले स्वास्थ्यकर्मी वरीयता के हकदार होंगे।
रंजना और सात अन्य याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका दायर कर कहा था कि कोरोना काल में संकट की घड़ी में जिन लोगों ने स्वेच्छा से स्वास्थ्य विभाग में निःशुल्क सेवाएँ दीं और जिन्हें कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित किया गया, उन्हें स्वास्थ्य विभाग की संविदा नियुक्तियों में वरीयता दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रविन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर इस याचिका में याचिकाकर्ता, जिन्होंने बस्ती जनपद के स्वास्थ्य विभाग में कोविड-19 महामारी के दौरान कार्य किया था, सरकारी आदेश दिनांक 27.05.2025 का लाभ मांग रहे हैं। ताकि, स्वास्थ्य कर्मचारियों को आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से या अन्यथा रिक्त पदों के विरुद्ध अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए जाने की स्थिति में उन्हें पुनः नियोजित किया जा सके।
यह भी तर्क दिया गया कि हाल ही में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बस्ती द्वारा अनेक नियुक्तियाँ की गईं, लेकिन उन स्वास्थ्यकर्मियों, जिन्हें ‘कोरोना योद्धा’ कहा जाता है और जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया, के दावों की अनदेखी की गई।
अधिवक्ता रविन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में कोरोना काल के वालंटियर और कोविड अवधि में सेवा देने वाले स्वास्थ्यकर्मी वरीयता के हकदार होंगे।
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