Basti : 19.77 करोड़ के प्रोजेक्ट को एक साल में होना था पूरा, 50 % भी नहीं हुआ कार्य

Basti : मेडिकल कॉलेज के ओपेक चिकित्सालय कैली के पुराने भवन का मरम्मत कार्य भगवान भरोसे रह गया है। तीन फेज में 19.77 करोड़ की लागत से इस भवन को निखारना था। समयावधि पूरी हुए एक साल से अधिक का समय बीत गया है। हैंडओवर के लिए तीन बार डीएम ने चेतावनी भी दी है। निर्माण एजेंसी राजकीय निर्माण निगम ने अभी तक इस कार्य का पचास प्रतिशत भी पूरा नहीं किया है।

पुराने इमरजेंसी भवन के जिस प्रथम फेज के कार्य को पूर्ण बताया जा रहा है, उसका हस्तांतरण गुणवत्ता के फेर में अटका हुआ है। कुल मिलाकर 4.70 करोड़ के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ गए हैं। घटिया क्वालिटी के निर्माण के चलते लोग धन की बंदरबांट का आरोप लगा रहे हैं।

ओपेक चिकित्सालय कैली के पुराने भवन की मरम्मत के लिए 4.70 करोड़ की पहली किश्त शासन से जारी हो चुकी है, जिसका लगभग 70 प्रतिशत भुगतान भी किया जा चुका है। जानकारों का कहना है कि मरम्मत कार्य की गुणवत्ता को लेकर मेडिकल कॉलेज प्रशासन और कार्यदाई संस्था में मतभेद हैं।

पीडियाट्रिक विभाग बनाने के लिए जिस पुराने इमरजेंसी भवन को उच्चीकृत किया गया है, उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पुराने लोहे के फ्रेम पर लकड़ी के खिड़की-दरवाजे उखाड़कर एल्युमिनियम बेस्ड फ्रेम और खिड़की-दरवाजे लगाए गए हैं, लेकिन इसकी गुणवत्ता खराब होने के कारण यह टिकाऊ साबित नहीं हो रहा है।

जानकारों के अनुसार, कुछ खिड़की-दरवाजे अभी से उलझ गए हैं और ठीक से बंद नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा, टाइल्स के फर्श पर भी कहीं-कहीं उभार हैं। सबसे अधिक दिक्कत वाशरूम और वॉश बेसिन की टोटियों में है। एक चिकित्सक ने बताया कि उनके कमरे में लगाए गए नए वॉशिंग बेसिन की टोटी प्रयोग में आने से पहले ही हिल रही है। इसकी टिकाऊपन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

गुणवत्ता की ही फेर में मेडिकल कॉलेज प्रशासन पूर्ण किए गए इमरजेंसी भवन को हैंडओवर लेने से कतरा रहा है। जिम्मेदारों ने गुणवत्ता जांच की भी बात कही। वहीं कार्यदाई एजेंसी का दावा है कि इमरजेंसी भवन का मरम्मत कार्य पूर्ण होकर हस्तांतरण किया जा चुका है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन हैंडओवर लेने से साफ इनकार कर रहा है।

ओपीडी भवन के निर्माण में भी सवाल
द्वितीय फेज में ओपेक चिकित्सालय कैली के ओपीडी भवन का निर्माण होना था। यहां भी एल्युमिनियम बेस्ड दरवाजे, खिड़की और टोटी दोयम दर्जे की लगाए जा रहे हैं। टाइल्स की गुणवत्ता कहीं-कहीं ठीक नहीं बताई जा रही है। कुछ पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्सक मानते हैं कि इससे बेहतर पुराना भवन ही था। कम से कम खिड़की और दरवाजे के फ्रेम में मजबूती थी। केवल लकड़ी के दरवाजे ही उखड़े हुए थे।

यदि इसी तरह कार्य हुआ तो साल भर बाद यह पूरा भवन फिर से मरम्मत योग्य हो जाएगा। वहीं मरीज दिखाने आए मुंडेरवा के प्रवीन कहते हैं कि मरम्मत के नाम पर केवल कोरम पूरा किया जा रहा है। एल्युमिनियम बेस्ड खिड़की और दरवाजे मजबूत लगते हैं, लेकिन केवल कुछ जगह पर ही सही क्वालिटी के हैं।

क्वालिटी जांच की व्यवस्था नहीं
मरम्मत कार्य की क्वालिटी जांच की व्यवस्था अभी तक नहीं बन पाई है। अंदरखाने मिली जानकारी के अनुसार, मेडिकल कॉलेज प्रशासन बिना क्वालिटी जांच कराए भवन हैंडओवर लेने के पक्ष में नहीं है। सामान्यत: मरम्मत कार्य की क्वालिटी जांच नहीं होती, लेकिन लगभग 20 करोड़ के बजट से किए जा रहे इस कार्य में गुणवत्ता जांच जरूरी बताई जा रही है।

कार्यालय की प्रतिक्रिया
ओपेक चिकित्सालय कैली का मरम्मत कार्य गुणवत्ता के अनुरूप कराया जा रहा है। गोरखपुर एम्स हॉस्पिटल की तर्ज पर यहां भी यूपीवीसी (एल्युमिनियम बेस्ड खिड़की-दरवाजे) और अन्य सामग्री अच्छी क्वालिटी की इस्तेमाल की जा रही है। एक पार्ट इमरजेंसी भवन उच्चीकृत करके मेडिकल कॉलेज को हैंडओवर किया जा चुका है। अन्य कार्यों के लिए शासन से दूसरी किश्त की मांग की गई है।
पन्नेलाल, सहायक अभियंता, राजकीय निर्माण निगम

हमने अभी कोई भी भवन हैंडओवर नहीं लिया है। सहायक अभियंता झूठ बोल रहे हैं। गुणवत्ता खराब होने की बात सामने आई थी। इसके लिए मेडिकल कॉलेज अपनी टीम गठित करके पहले गुणवत्ता की जांच कराएगा। यदि कहीं गुणवत्ता खराब मिलेगी तो उसे ठीक कराया जाएगा।

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