Basti : प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना में सेंधमारी, PMMVY का 96 लाख रुपये फर्जी खातों में ट्रांसफर, जांच के आदेश

Basti : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना (PMMVY) में प्रदेश स्तर पर एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। भ्रष्टाचारियों ने इस जनकल्याणकारी योजना के तहत आने वाली राशि में सेंधमारी करते हुए 96 लाख रुपये से अधिक का सरकारी धन 1000 से अधिक फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया है। इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है और प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।

गरीबों और गर्भवती महिलाओं के लिए बनी केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना (PMMVY), अब भ्रष्टाचारियों का नया शिकार बन गई है। यूपी के बस्ती जिले में सामने आया लाखों रुपये का बड़ा घोटाला इसी ओर इशारा करता है। यह घोटाला सिर्फ पैसों के गबन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह डिजिटल इंडिया के तहत किए गए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सिस्टम की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। प्रधानमंत्री की ‘फुल-प्रूफ योजना’ कही जाने वाली PMMVY में भ्रष्टाचारियों ने ऐसी सेंधमारी की कि विभागीय अधिकारी भी सकते में हैं।

शुरुआती जांच के अनुसार, कल्याणकारी योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण सहायता के लिए मिलने वाली राशि को सुनियोजित तरीके से 1000 से अधिक फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। यह घोटाला तब उजागर हुआ जब ICDS विभाग के आंतरिक ऑडिट में लाभार्थियों की सूची और उनके बैंक खातों के सत्यापन में भारी विसंगतियां पाई गईं। डीपीओ ने बताया कि एक ही IP एड्रेस या सिस्टम से बड़ी संख्या में लाभार्थियों के डेटा और बैंक विवरण अपलोड किए गए थे, जो स्पष्ट रूप से किसी संगठित गिरोह की ओर इशारा करता है।

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के अधिकारी राजेश त्रिपाठी के अनुसार, यह अनियमितता योजना के लाभार्थियों को सीधे हस्तांतरित होने वाली राशि (DBT) में हुई है। जांचकर्ताओं का मानना है कि या तो यह किसी बड़े साइबर फ्रॉड गिरोह का काम है, जिसने सिस्टम में सेंध लगाई है, या इसमें विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत है। सरकारी धन को इस तरह बड़ी संख्या में फर्जी खातों में भेजे जाने से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। डीपीओ राजेश त्रिपाठी ने इस बड़े गड़बड़झाले की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में 96 लाख रुपये के गबन की बात सामने आई है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

बताया गया कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक, जिले के सदर ब्लॉक में सबसे अधिक अनियमितताएं पाई गई हैं। इसी ब्लॉक में फर्जी बैंक खातों की संख्या सबसे अधिक है, जिनमें सरकारी पैसा भेजा गया है। यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार का केंद्र यही क्षेत्र रहा है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, मुख्य विकास अधिकारी सार्थक अग्रवाल के निर्देश पर तत्काल एक उच्च-स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है। तीन वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम इस पूरे मामले की विस्तृत और फुल-प्रूफ जांच करेगी। कमेटी को यह पता लगाने का निर्देश दिया गया है कि घोटाला किस स्तर पर हुआ, क्या यह केवल तकनीकी साइबर फ्रॉड है, या इसमें विभागीय मिलीभगत है। साथ ही, यह भी जांचा जाएगा कि फर्जीवाड़ा कब से चल रहा था।

प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जांच पूरी होने के बाद न केवल गबन की गई राशि की वसूली की जाएगी, बल्कि इसमें शामिल सभी दोषियों, चाहे वे बाहरी हों या विभागीय कर्मचारी, सभी के खिलाफ सख्त आपराधिक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल इस घोटाले से सरकार और प्रशासन के सामने यह सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती बन गई है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंचे।

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