बस्ती : बिजली निगम में गड़बड़झाला… फर्जी दस्तावेज पर बांट दिए टेंडर, कुछ कार्यों पर भुगतान की भी तैयारी

  • तीन ठेकेदारों का हैसियत, चरित्र एवं बैलेंस शीट मिला कूटरचित, एक टेंडर किया गया निरस्त
  • निविदा बाबू से लेकर अधिकारियों तक की भूमिका संदिग्ध, अभी तक नहीं हुई कोई कार्रवाई

बस्ती। विद्युत निगम में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। ठेकेदारों के फर्जी दस्तावेज पर लंबे समय से टेंडर आवंटित किया जा रहा है। निर्माण कार्य करने वाली फर्मों के पंजीकरण और अनुबंध पत्र में संलग्न हैसियत, चरित्र, बैलेंस शीट जैसे जरूरी प्रपत्र कूटरचित पाए गए हैं। जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद विभाग में हड़कंप की स्थिति है। दो महीने से मामले को दबाने की कोशिश चल रही है। आनन- फानन में एक टेंडर भी निरस्त किया जा चुका है। खबर है कि फर्जी दस्तावेज लगाने वाली कुछ फर्मों ने पूर्व में आवंटित विद्युत निर्माण कार्यों को काफी हद तक पूर्ण भी कर लिया है। अब इनके भुगतान का तानाबना बुना जा रहा है।

अधीक्षण अभियंता कार्यालय विद्युत कार्य मंडल में निर्माण करने वाली फर्मों का पंजीकरण फर्जी दस्तावेज पर कर दिया जा रहा था। इसमें बड़े निर्माण कार्यों को हथियाने के लिए ठेकेदार विभागीय सांठगांठ से करोड़ों का कूटरचित हैसियत प्रमाण पत्र, फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र और बैलेंसशीट तक का इस्तेमाल किया गया। इन्हीं प्रपत्रों के आधार कई फर्मों ने निगम के निर्माण इकाई विद्युत कार्य खंड और वितरण खंड के अधीन होने वाले विद्युत उपकेंद्रों की मरम्मत, क्षमता वृद्धि, लाइन निर्माण, जमा योजना के विद्युत कार्यों का कई- कई टेंडर भी लिया गया है।

बताया जा रहा है कि जिन फर्मों के दस्तावेज फर्जी मिले हैं उनसे जुड़े ठेकेदारों का रसूख विभाग में लंबे समय से हैं। पिछले दिनों अधीक्षण अभियंता विद्युत कार्य मंडल ने निर्माण कार्य करने वाली फर्मों के हैसियत, चरित्र जैसे जरूरी प्रपत्रों की जांच के लिए टीम गठित की। एक्सईएन विद्युत माध्यमिक कार्य खंड के स्तर से मामले की जांच की गई। इसमें एक फर्म का हैसियत प्रमाण पत्र, एक का चरित्र और तीसरे फर्म की बैलेंसशीट कूटरचित पाई गई है। जानकारों की मानें तो निगम में कार्य करने वाली इन फर्मों के दस्तावेज फर्जी होने के खुलासे के बाद महकमा सकते में आ गया। आनन- फानन में विक्रमजोत पंप कैनाल के लाइन निर्माण का टेंडर निरस्त कर दिया गया। लेकिन, इसके बाद कार्रवाई से हाथ खींच लिए गए। बताया जा रहा है कि कुछ फर्मों ने इन्हीं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर पूर्व में कई कार्यों का टेंडर भी लिया है। जिन्हें काफी हद पूर्ण कर लिया गया है। विभागीय साठगांठ से अब इन कार्यों के भुगतान की तैयारी चल रही है। इसी वजह से संबंधित फर्मों पर कार्रवाई अटकी हुई है।

टेंडर बाबू से लेकर अधिकारियों तक भूमिका संदिग्ध

निगम नियमावली के अनुसार माध्यमिक कार्य खंड एवं वितरण खंड में विद्युत कार्य करने के लिए ठेकेदारों को एसई माध्यमिक कार्य खंड के कार्यालय में सबसे पंजीकरण करना होता है। नए विद्युत उपकेंद्र समेत लंबी दूरी के लाइन निर्माण कार्यों के लिए प्राइवेट फर्म का एक करोड़ से अधिक का हैसियत अनिवार्य होता है। इसके अलावा फर्म के प्रोपराइटर का चरित्र प्रमाण पत्र भी आवश्यक होता है। निगम के नियमावली के अनुसार संबंधित पटल पर तैनात निविदा बाबू और जिम्मेदार अधिकारी को पंजीकरण या निविदा आवंटित करने से पहले आवेदन करने वाली फर्मों के सभी प्रपत्रों का सत्यापन कराना चाहिए। लेकिन, निगम के जिम्मेदारों ने ऐसा न करके कूटरचित दस्तावेजों को सही ठहरा दिया। इस आधार पर टेंडर प्रक्रिया भी पूरी होती रही। जिससे इस मामले में जिम्मेदारों की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। दो महीने पहले जांच में फर्जी दस्तावेजों का खुलासा होने के बाद भी जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इन फर्मों के मिले फर्जी दस्तावेज

एक्सईन विद्युत माध्यमिक कार्य खंड अनिल कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में दो सदस्यीस जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार निविदा संख्या 11/ वि.का.मं (ब)/ 2024- 25 का प्रथम भाग 21 फरवरी 2025 को खोला गया था। इसमें मेसर्स किंग एसोसिएट्स- बस्ती, मेसर्स विरेंद्र किशोर पांडेय- गोरखपुर, मेसर्स सत्या रिर्सोसेस प्रा. लि. लखनऊ एवं मेसर्स श्री साई ट्रेडिंग कंपनी, बांसी- सिद्धार्थनगर ने हिस्सा लिया था। जांच में पता चला कि मे. सत्या रिर्सोसेस प्रा. लि. लखनऊ का चरित्र प्रमाण पत्र अधूरा है। इसके अलावा टैन नंबर व टर्न ओवर भी नहीं पाया गया। दूसरी फर्म मेसर्स किंग एसोसिएट्स बस्ती का हैसियत प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। इसमें दर्शाई गई आवेदन संख्या 211850440019915 पर कोई हैसियत प्रमाण निर्गत नहीं पाया गया। जबकि मे. विरेंद्र किशोर पांडेय- गोरखपुर की बैलेंसशीट की यूडीआईएन पर जांच करने पर भिन्नता पाई गई। मे. साई ट्रेडिंग कंपनी- बांसी के हैसियत प्रमाण पत्र में ऑनलाइन जांच करने पर पता चला कि 35 लाख 7000 के हैसियत पर आगे एक लिखकर एक करोड़ 35 लाख सात हजार कर दिया गया है। इसके बाद संबंधित निविदा निरस्त कर दी गई। लेकिन, निगम से फर्जीबाड़ा करने वाली इन फर्मों को ब्लैक लिस्ट घोषित करने या अन्य तरह की कार्रवाई अभी नहीं की गई है। जानकार बताते हैं कि इस खेल में कई जिम्मेदारों की भी भूमिका संदिग्ध है। इसके अलावा अन्य निर्माण कार्यों के टेंडर भी इसी तरह के कूटरचित दस्तावेज पर आवंटित किए गए हैं।

टेंडर बाबू का हुआ स्थानांतरण, बाद में रूका

इं. विजय कुमार गुप्ता, मुख्य अभियंता – ‘अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार फर्जी दस्तावेज पर विद्युत कार्यों के आवंटन का खुलासा होने के बाद तीन साल से अधिक समय से एसई कार्यालय में निविदा का पटल देखने वाले बाबू को दूसरे डिवीजन में स्थानांतरित कर दिया गया था। उनकी जगह पर एक दूसरे बाबू ने ऑनलाइन ज्वाइनिंग भी कर ली थी। लेकिन, बाद तत्कालीन एसई ने अपना यह आदेश निरस्त कर दिया। जिससे निविदा बाबू अभी भी पटन पर तैनात है।’

विद्युत कार्यों का निर्माण करने वाली कुछ फर्मों के प्रपत्रों की जांच कराई गई थी। जिनके हैसियत, चरित्र एवं अन्या प्रपत्र फर्जी मिले हैं उन्हें आगे कार्य नहीं दिया जाएगा। भुगतान के प्रक्रिया की जानकारी हमें नहीं है। यदि ऐसा है तो संबंधित फर्मों का भुगतान बाधित किया जाएगा।

रणजीत चौधरी, एसई, विद्युत माध्यमिक कार्य मंडल, बस्ती – ‘प्रकरण मेरे कार्यकाल से पहले का है। जानकारी होने पर छानबीन की गई थी। लेकिन, टेंडर निरस्त कर दिया गया था। इसलिए संबंधित फर्मों के खिलाफ अन्य कोई कार्रवाई नहीं हुई। आगे उन्हें कार्य भी नहीं मिलेगा।’

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