बस्ती : मेडिकल कॉलेज परिसर में भरा गंदा पानी, आवासीय कॉलोनी में रहना दुश्वार

  • आठ साल से नहीं बन पाई जलनिकासी की व्यवस्था, घरों से निकलना दुश्वार
  • परिसर के मुख्य मार्गों पर पसरा कीचड़ युक्त पानी, उग आए झाड़- झंखाड़

बस्ती। मेडिकल कॉलेज के ओपेक चिकित्सालय कैली परिसर में जलभराव की समस्या लाइलाज बन गई है। आवासीय क्षेत्र की मुख्य सड़कों पर पानी भर गया है। टाइप- टू, टाइप- थ्री कॉलोनियों के बाहर गंदा पानी पसरा हुआ है। लोगों का घरों से निकलना दुश्वार हो गया है। बारिश के समय स्थिति और बिगड़ जा रही है। लोगों को गंदे में पानी में घुसकर आना- जाना पड़ रहा है। झाड़- झंखाड़ भी चौतरफा पसरा हुआ है। यहां रहने वाले कर्मचारी, उनके परिवार, इंटर्न डॉक्टरों में संक्रामक बीमारी फैलने का भी खतरा है।

मेडिकल कॉलेज के ओपेक चिकित्सालय कैली की आवासीय कॉलोनी में डॉक्टर, स्टॉफ और उनके परिवार को मिलाकर लगभग पांच हजार लोग रहते हैं। इसके अलावा लगभग इतने ही संख्या में मरीज और तीमारदारों का भी आना जाना रहता है। ओपेक चिकित्सालय कैली भवन के पीछे की तरफ आधा दर्जन ब्लॉकों में एक दर्जन टाइप- टू, टाइस- थ्री की आवासीय कॉलोनियां बनाई गई है। इसमें चिकित्सक और स्टॉफ परिवार के साथ निवास करते हैं। मरम्मत के अभाव में अधिकांश भवन की स्थिति पहले से जर्जर है। इसके अलावा जलभराव की समस्या और खलल पैदा कर दी है। सभी ब्लॉकों की सड़कों पर बारिश के समय पानी भर जा रहा है। यह कई- कई दिनों तक पसरा हुआ है। आवास के सामने सड़क पर गंदा पानी होने से लोगों का घरों से निकलना दुश्वार रहता है। जलजनित बीमारियों से बचने के लिए यहां रहने वाले लोग बच्चों को घरों के अंदर कैद रखते हैं। स्कूल भेजने के लिए बाइक पर बैठाकर बच्चों को परिसर से बाहर ले जाना पड़ रहा है। चिकित्सक और स्टॉफ भी गंदे पानी की वजह से वाहन पर सवार होकर अस्पताल और घर पहुंच रहे हैं। गंदा पानी एकत्र होने से दुर्गंध भी उठती है। आवासीय कॉलोनी में रहने वाली सुनीता कहती है कि पिछले पांच साल से यही दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है। सामान्य दिनों में भी यहां कीचड़ और पानी भरा रहता है। जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

आठ साल पहले बना नाला हो गया निष्प्रयोज्य

ओपेक चिकित्सालय कैली की जलनिकासी के लिए आठ साल पहले मुख्य मार्ग के किनारे कैली गेट से सोनूपार तक नाला निर्माण हुआ था। लेकिन, जनप्रतिनिधियों की शिकायत के बाद शासन ने इस कार्य को श्रमदान घोषित कर दिया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने नाला को पाटकर उसका अस्तित्व ही खत्म कर दिया। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से कई बार जिला प्रशासन को नाला साफ कराने के लिए पत्राचार किया गया। लेकिन, इस पर कोई अमल नहीं हुआ। इस वजह से जलनिकासी की व्यवस्था नहीं बन पाई।

जलनिकासी की व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखकर मदद मांगा गया है। नए सिरे से नाला निर्माण का प्रस्ताव भी भेजा गया है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद इस पर कार्य कराया जाएगा।
डॉ. अनिल कुमार यादव, उप प्रधानाचार्य।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें