
Basti : बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी) ने जनपद के परशुरामपुर थाने पर तैनात दरोगा को बाल अधिनियम का पालन नहीं करने पर दंडित किया है। दंड निर्धारण करने से पहले एसआई से दो बार स्पष्टीकरण मांगा गया था, लेकिन दोनों बार स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाए जाने पर यह कार्रवाई की गई।
थानाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने सीडब्लूसी के पत्र का कोई जवाब नहीं दिया है, फलस्वरूप उन पर अभी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।
बताया गया कि उक्त थाना क्षेत्र के एक ग्राम निवासी नाबालिक पाक्सो पीड़ित बालक की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई। बालक के साथ गांव के ही कुछ लोगों ने लैंगिक अपराध की घटना की थी। थाने पर कोई सुनवाई न होने पर बालक के पिता ने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय के आदेश के बाद मुकामी थाने पर मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचक ने बालक को सीडब्लूसी के समक्ष पेश कर प्रक्रिया पूरी कराई।
5 अगस्त को बालक के पिता ने न्यायपीठ के समक्ष शिकायत पत्र देकर बताया कि बालक को बार-बार थाने बुलाया जा रहा है, मुकदमा वादी को एफआईआर की कॉपी नहीं दी जा रही, और घटना के समय वहां बच्चे ही चश्मदीद गवाह थे। इसके बावजूद विवेचक गवाही के लिए बड़े लोगों को बुलाने के लिए कहते हैं।
पीड़ित बालक ने न्यायपीठ के सामने कथन किया कि विवेचक कहते हैं कि “सही बोलो नहीं तो भगवान के मंदिर में कशम खिलाऊंगा।” इस प्रकार के व्यवहार से बालक मानसिक रूप से पीड़ित है और उसकी शिक्षा और स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं।
इस विषय और बालक के सर्वोत्तम हित को गंभीरता से लेते हुए न्यायपीठ के अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा, सदस्य अजय श्रीवास्तव, डॉ. संतोष श्रीवास्तव और मंजू त्रिपाठी की टीम ने आदेश दिया कि:
- विवेचक को 6 माह के लिए न्यायपीठ के कार्यालय में प्रतिबंधित किया जाए।
- विवेचक को 6 माह तक बच्चों से संबंधित सभी मामलों से दूर रखा जाए।
- 6 माह तक उप निरीक्षक को बाल अधिनियम एवं पाक्सो एक्ट से संबंधित विवेचना के लिए नामित न किया जाए।
- संबंधित एसआई को जे जे एक्ट का अनिवार्य प्रशिक्षण दिलाया जाए।
- थानाध्यक्ष को अंतिम अवसर दिया गया है; इस बार भी उनका जवाब न आने या स्पष्टीकरण संतोषजनक न होने पर उनके विरुद्ध न्यायपीठ द्वारा विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
आदेश की कॉपी जिला अधिकारी, पुलिस उपमहानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षक को भी भेज दी गई है।
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