सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेसिक शिक्षकों पर छाया संकट, शिक्षक संघ ने पीएम और HRD मंत्री से लगाई गुहार

Lucknow : माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1 सितंबर 2025 को दिए गए फैसले ने देशभर के बेसिक शिक्षकों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि पांच वर्ष से अधिक सेवा अवधि वाले सेवारत शिक्षकों को भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण करनी होगी। हालांकि 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को राहत देने की बात भी कही गई है, लेकिन फैसले के अस्पष्ट प्रावधानों से लाखों शिक्षक असमंजस और भय में हैं।

अखिल भारतीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ एवं उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ ने प्रधानमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि अध्यादेश लाकर संशोधन किया जाए। संगठनों का कहना है कि यदि संशोधन नहीं हुआ तो केवल उत्तर प्रदेश में ही करीब 4 लाख और देशभर में लगभग 40 लाख शिक्षक अपनी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे।

संघ के अध्यक्ष योगेश त्यागी और महामंत्री नरेश कौशिक ने पत्र में लिखा है कि सेवा के अंतिम पड़ाव पर पहुँचे शिक्षक न तो उम्र की सीमा में आते हैं और न ही NCTE की निर्धारित योग्यता को पूरा कर पा रहे हैं। वर्ष 2001 से पहले नियुक्त अधिकांश शिक्षक इंटरमीडिएट और BTC योग्यता धारी हैं, जबकि TET के लिए न्यूनतम स्नातक और बीएड/डीएलएड आवश्यक है। ऐसे में वे परीक्षा में आवेदन भी नहीं कर सकते।

संघ ने कहा कि 40 लाख परिवार बेघर और भुखमरी की कगार पर पहुँच सकते हैं। शिक्षकों ने मांग की है कि 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त सभी बेसिक शिक्षकों को TET से छूट दी जाए और अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश में संशोधन किया जाए।

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