घूसखोरी और भ्रष्टाचार का अड्डा बना बिजली विभाग, सबस्टेशनों में गायब रहते हैं अधिकारी

  • बिजली कटौती से बर्बाद होती पढ़ाई और कारोबार
  • बिजली बिल ठीक करने में देरी, फिर रहस्यमयी छूट
  • सबस्टेशनों की दुर्दशा, अधिकारी गायब, जानकारी शून्य
  • घूसखोरी और भ्रष्टाचार का अड्डा बना बिजली विभाग

भास्कर ब्यूरो

बरेली।बिजली विभाग की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। आए दिन होने वाली बिजली कटौती, बढ़ते बिलों की समस्याएं, खराब ट्रांसफार्मर और जनता की लगातार उपेक्षा से आम लोग बेहाल हैं। विधान परिषद की संसदीय अध्ययन समिति की बैठक में खुद समिति के सभापति सुरेंद्र चौधरी ने बिजली विभाग की नाकामी पर नाराजगी जताई, लेकिन सवाल उठता है कि क्या इससे हालात सुधरेंगे?

बैठक में खुलासा हुआ कि जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों के बावजूद बिजली विभाग बिजली बिलों को सही करने में टालमटोल करता है, लेकिन जब उपभोक्ता अधिक दबाव बनाते हैं, तब जाकर अचानक राहत दी जाती है। यह साफ दर्शाता है कि विभाग जानबूझकर उपभोक्ताओं को परेशान करता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश बनाता है। अगर बिल गलत है, तो उसे पहली बार में ही सही क्यों नहीं किया जाता?बैठक में यह भी निर्देश दिए गए कि विद्युत सबस्टेशनों पर अधिकारियों के नंबर साफ-साफ लिखे जाएं, जिससे उपभोक्ताओं को किसी समस्या के समय तुरंत संपर्क मिल सके। लेकिन असलियत यह है कि अधिकांश सबस्टेशनों पर जिम्मेदार अधिकारी मौजूद ही नहीं होते, और फोन भी उठाना जरूरी नहीं समझते। सबस्टेशन पर कोई भी समस्या हो – ट्रांसफार्मर फुंक जाए, तार टूट जाए, या इलाके में ब्लैकआउट हो – जनता को अपनी ही किस्मत पर छोड़ दिया जाता है।

जनप्रतिनिधियों के पत्रों को नजरअंदाज करने वाला बिजली विभाग आम उपभोक्ताओं के साथ कैसा बर्ताव करता होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। बिजली कनेक्शन लेने से लेकर खराब मीटर बदलवाने तक हर काम में “कुछ लेन-देन” की बात सामने आती है। ट्रांसफार्मर खराब होने पर नई व्यवस्था करने में महीनों का समय लग जाता है, जब तक कि “चाय-पानी” का इंतजाम न हो।गर्मी का मौसम आने को है, लेकिन बिजली कटौती की समस्या से कोई हल नहीं निकाला गया। गांवों में 10-12 घंटे तक बिजली गुल रहना आम बात है, जिससे किसानों की सिंचाई व्यवस्था ठप हो जाती है। शहरों में भी अघोषित कटौती के कारण छोटे व्यापारी और दुकानदारों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है।

डिजिटल इंडिया की बात करने वाली सरकार को शायद यह अंदाजा नहीं कि ऑनलाइन क्लास और वर्क-फ्रॉम-होम करने वाले लोग घंटों बिना बिजली के कैसे गुजारते हैं।बिजली विभाग के पास जब भी कोई शिकायत की जाती है, तो जवाब होता है – “काम जारी है”, “शीघ्र ठीक किया जाएगा”, या “फंड की कमी है”। लेकिन असली सवाल यह है कि जनता की गाढ़ी कमाई से वसूले गए हजारों करोड़ रुपये आखिर कहां जा रहे हैं? बिजली बिल तो समय पर भरना पड़ता है, लेकिन बिजली सेवा सुधारने की जिम्मेदारी कौन लेगा?

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