
- एडीजी रमित शर्मा की तकनीकी निगरानी और सख्त अनुशासन ने दिलाया पब्लिक ग्रीवेंस रिव्यू पोर्टल पर टॉप रैंकिंग
- बरेली जोन के 5 जिलों ने यूपी टॉप 10 में बनाई जगह, 17 पुलिसकर्मी सम्मानित
बरेली। उत्तर प्रदेश में पुलिसिंग व्यवस्था को जन-समस्याओं के प्रति संवेदनशील और जवाबदेह बनाने की दिशा में जो गंभीर प्रयास हो रहे हैं, उनमें बरेली जोन के एडीजी रमित शर्मा का योगदान अतुलनीय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर शुरू हुए पब्लिक ग्रीवेंस रिव्यू पोर्टलकी समीक्षा में वर्ष 2024 से 2025 के बीच बरेली जोन के पांच जिलों ने प्रदेश के टॉप-10 में स्थान प्राप्त किया। यह उपलब्धि न केवल प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण है, बल्कि यह साबित करती है कि एडीजी रमित शर्मा के नेतृत्व में जनता की शिकायतों को गंभीरता से लेकर उन्हें समयबद्ध ढंग से सुलझाया जा रहा है।
1 जनवरी 2024 से 15 अप्रैल 2025 तक की अवधि में पब्लिक ग्रीवेंस रिव्यू पोर्टल पर दर्ज शिकायतों की समीक्षा में उत्तर प्रदेश के जिन दस जनपदों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, उनमें बरेली जोन के पांच जिले — बरेली (द्वितीय), बदायूं (पंचम), मुरादाबाद (षष्ठम्), बिजनौर (सप्तम्) और रामपुर (अष्टम्) — शामिल हैं। यह आंकड़ा एक तरफ़ जहां पुलिस की संवेदनशीलता को दर्शाता है, वहीं दूसरी तरफ़ ज़मीनी स्तर पर टेक्नोलॉजी और मानव संसाधन के बेहतर तालमेल का परिणाम भी है।
13 मई को एडीजी रमित शर्मा ने एक सादे मगर प्रेरणादायक समारोह में इन उपलब्धियों के पीछे कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस पहल ने न केवल उनकी मेहनत को सराहा बल्कि अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रेरणा का काम किया।
बरेली जोन (मुख्यालय)
- उपनिरीक्षक सतेन्द्र कुमार
- मुख्य आरक्षी नरेन्द्र प्रताप सिंह
- मुख्य आरक्षी राजेन्द्र पाल सिंह
- जनपद बरेली,
- उपनिरीक्षक सोनी खम्पा
- आरक्षी सचिन कुमार
- जनपद बदायूं,
- उपनिरीक्षक विवेक कुमार
- आरक्षी संजीव चौधरी
- जनपद मुरादाबाद,
- निरीक्षक अवनीश पाल सिंह
- महिला मुख्य आरक्षी जूली
- आरक्षी नितिन शिवाच
- जनपद बिजनौर,
- निरीक्षक दिनेश कुमार शर्मा
- आरक्षी कमलदीप
- आरक्षी सूर्यप्रताप
- जनपद रामपुर,
- निरीक्षक प्रदीप कुमार
- उपनिरीक्षक ओमपाल सिंह
- आरक्षी श्रवण कुमार
इन अधिकारियों/कर्मचारियों ने जनता की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए, शिकायतों का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण समाधान सुनिश्चित किया। इनके कार्यों ने सिस्टम में जनता का भरोसा बढ़ाया है।

एडीजी रमित शर्मा को टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल करने वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने न केवल मॉनिटरिंग तंत्र को मज़बूत किया, बल्कि कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर शिकायतों के समाधान में पारदर्शिता और प्रभावशीलता लाई। उन्होंने पुलिस की छवि को जनता के सामने “सुनने वाली और समाधान देने वाली संस्था” के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया।
उनका मानना है कि “शिकायत दर्ज होने से लेकर उसके समाधान तक हर स्टेप का ऑडिट होना चाहिए। इससे सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों आती हैं।” यही सोच उन्हें बाकी अधिकारियों से अलग बनाती है।जब किसी क्षेत्र की पुलिस केवल कानून व्यवस्था तक सीमित न रहकर जनता की समस्याओं को आत्मीयता से सुलझाने में भी अग्रणी भूमिका निभाए, तब वह क्षेत्र निस्संदेह दूसरे क्षेत्रों के लिए मिसाल बन जाता है। बरेली जोन ने यह कर दिखाया है।
शिकायतों के निराकरण की समीक्षा में टॉप पर रहना आसान नहीं होता, विशेषकर तब जब शिकायतें हजारों में हों और समाधान की अपेक्षा समयबद्ध और संतोषजनक हो। रमित शर्मा ने हर जिले के कप्तानों को निर्देशित किया कि “जो भी शिकायत आए, उसका तत्काल रजिस्ट्रेशन और 48 घंटे के अंदर प्राथमिक निस्तारण अनिवार्य हो।” यही वजह रही कि सभी पाँच जिलों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।
बरेली, बदायूं, मुरादाबाद, बिजनौर और रामपुर में इस कार्यप्रणाली के कारण जनता का पुलिस पर भरोसा और संवाद बढ़ा है। जिन नागरिकों ने अपनी शिकायतें दर्ज कराईं, उन्हें समाधान न केवल मिला बल्कि समय पर मिला। इससे पुलिस और नागरिकों के बीच एक नया रिश्ता बना — संवाद, सहयोग और समाधान का।
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