बरेली : मजलिस में गूंजे कर्बला के मसायब, फिजा में छाया मातम

बरेली : मोहल्ला गढ़य्या स्थित इमामबाड़ा वसी हैदर में मंगलवार की शाम अज़ादारी के सिलसिले में मजलिस का आयोजन किया गया। इस मौके पर सैकड़ों अज़ादारों की मौजूदगी में सेंथल से तशरीफ़ लाए मशहूर आलिमे-दीन मौलाना फ़राज़ वास्ती ने खिताब किया। उन्होंने कर्बला को “ज़ुल्म पर सब्र की फतह” का ऐतिहासिक उदाहरण बताया और कहा कि यह जंग तलवार और तादाद की नहीं, बल्कि हक़ और सब्र की थी।

मौलाना ने अपने खिताब में कहा कि यज़ीदी हुकूमत ने नबी के नवासे हज़रत इमाम हुसैन पर तमाम ज़ुल्म ढाए, लेकिन उन्होंने सब्र, ईमान और इंसाफ़ का दामन नहीं छोड़ा। इमाम हुसैन ने अपने क़दम पीछे नहीं हटाए और अपने छोटे से काफ़िले के साथ इतिहास में वह इंकलाब लाया जो रहमत और इंसानियत की सबसे बुलंद मिसाल बन गया। मौलाना ने कहा, यज़ीद को ताक़त मिली थी ताज और तख़्त से, लेकिन इमाम को ताक़त मिली थी सब्र और सच्चाई से। यही वजह है कि आज यज़ीद का नाम मिट चुका है, लेकिन हुसैनी परचम पूरी दुनिया में लहरा रहा है।

मजलिस के आख़िर में जब मौलाना फ़राज़ ने हज़रत अली अकबर, अली असगर, जनाबे ज़ैनब और हज़रत अब्बास के दर्दनाक मसायब का ज़िक्र किया, तो फिजा ग़मगीन हो गई। अज़ादारों की आंखों से आंसू बह निकले और माहौल मातम में डूब गया। इसके बाद मक़ामी अंजुमनों ने पुरजोर नौहा ख्वानी और सीना ज़नी कर कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

इस मौके पर समर अब्बास ज़ैदी, गुलरेज़ हुसैन, महमूद हसन, अख़्तर हुसैन रिज़वी, अलमदार हुसैन, ज़फ़र अब्बास रिज़वी, रफ़त हैदर, फ़िरोज़ हैदर, क़सीम रज़ा, नईम नक़वी, फरीद रज़ा, अली आलिम सहित बड़ी संख्या में अज़ादार मौजूद रहे।

ये भी पढ़ें: कासगंज: नवोदय विद्यालय में छात्रों ने खोली अव्यवस्थाओं की पोल, शिक्षा और सुविधा दोनों बेहाल

महिला सिपाही की मौत बनी मिस्ट्री, यूपी में फिर उठे सुरक्षा पर सवाल, जांच में जुटी पुलिस

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भडका तेजस्वी के खिलाफ बोल रहे थे विजय सिन्हा, तभी दे दिया जवाब ‘मारो मुझे मारो… दम है तो मारो लाठी…’ पेट्रोल पंप पर महिला का हाई वोल्टेज ड्रामा, वीडियो वायरल