बरेली। ऐसा यदाकदा ही देखने को मिलता है कि जब अधीनस्थ कर्मचारी अपने ही अधिकारी को काम के नाम पर ठेंगा दिखा दें और अधिकारी अपने दिए आदेश का पालन कराने में नाकाम हो जाए ताजा मामला नगर निगम के निर्माण विभाग का है, अब नगर आयुक्त के आदेश भी नहीं चल रहे हैं। कथित तौर पर सर्दियों में अलाव जलाने के लिए लकड़ी की सप्लाई करने वाली फर्म का भुगतान भी इसी चक्कर में फंसा हुआ है। पिछले दिनों नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स ने मुख्य अभियंता को तत्काल भुगतान का आदेश दिया था, लेकिन आरोप है कि जवाब में निर्माण विभाग के इंजीनियरों ने कहा दिया कि कोई ताकत भुगतान नहीं करा सकती। अब नगर आयुक्त ने मुख्य अभियंता को दोबारा पत्र लिखकर आदेश के बावजूद भुगतान न करने को अनुशासनहीनता बताया है, साथ ही शासन को भी इसकी रिपोर्ट भेजी है।
ये था पूरा मामला
सर्दियों में सड़क चलते बेसहारा लोगों के लिए अलाव जलाने को नगर निगम ने महावीर कंस्ट्रक्शन एंड जनरल ऑर्ड सप्लायर नाम की फर्म से लकड़ी खरीदने और शहर में अस्थाई रैन बसेरे बनाने का अनुबंध किया था। फर्म के मुताबिक अलाव जलाने के लिए नगर निगम ने इस अनुबंध के तहत करीब 14 लाख रुपये कीमत की लकड़ी खरीदी। बाद में जब उसकी ओर से नगर निगम में भुगतान के लिए आवेदन किया तो निर्माण विभाग ने फाइल को लटका दिया। आरोप है कि फर्म मालिक कई महीनों से नगर निगम के अफसरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन निर्माण विभाग के एक्सईएन बार-बार फाइल में कोई न कोई कमी निकालकर भुगतान करने से इन्कार कर देते हैं।
फर्म मालिक के अनुसार काफी परेशान होने के बाद पिछले दिनों उन्होंने भुगतान न किए जाने की शिकायत नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स से की। नगर आयुक्त ने फौरन फर्म को भुगतान करने का आदेश दिया, लेकिन इसके बावजूद निर्माण विभाग ने भुगतान करने से इन्कार कर दिया। फर्म के मालिक का आरोप है कि नगर आयुक्त के निर्देश के बाद भी निर्माण विभाग के इंजीनियर धमकी दे रहे है कि कोई ताकत उनका भुगतान नहीं करा सकती। फर्म मालिक के दोबारा शिकायत करने के बावजूद नगर आयुक्त ने इस पर सख्त नाराजगी जताई है। उन्होंने मुख्य अभियंता को पत्र लिखकर सचेत किया है कि अनुशासनहीनता की जा रही है। उन्होंने इस बारे में शासन को भी रिपोर्ट भेजी है।
क्या शासन स्तर से होगी बड़ी कार्यवाही
वित्तीय अनियमितताओं के मामले में ही नगर निगम के पूर्व मुख्य अभियंता बीके सिंह को शासन ने सस्पेंड कर दिया था। कई गंभीर मामले सामने आने के बाद नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स ने ही उनके खिलाफ शासन को रिपोर्ट भेजी थी। हालांकि इसके बावजूद ताजा प्रकरण बता रहा है कि निर्माण विभाग के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। नगर निगम के कुछ और विभागों में भी उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना के मामले सामने आ चुके हैं। इस बार लकड़ी खरीद के मामले में निर्माण विभाग के इंजीनियरों की अनुशासनहीनता की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। माना जा रहा है कि इस मामले में कई लोगों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
कमीशनखोरी के चक्कर में फर्म मालिक बना घनचक्कर
नगर निगम में कई साल से कमीशनखोरी का बोलबाला है। करीब तीन साल पहले तत्कालीन मुख्य अभियंता बीके सिंह के कार्यकाल में तो यह नौबत आ गई थी कि ठेकेदारों ने उनके खिलाफ कमीशनखोरी के आरोप लगाते हुए सीधा मोर्चा खोल दिया था। नगर आयुक्त को ज्ञापन देकर बिल वाउचर बनाने तक के लिए कमीशन लिए जाने की शिकायत की गई थी। खुद मेयर उमेश गौतम ने शहर की सड़कों के गड्ढामुक्त न होने की वजह निर्माण विभाग की कमीशनखोरी को बताया था। मेयर ने यहां तक कहा था कि मुख्य अभियंता ठेकेदारों से 30 फीसदी कमीशन मांगते हैं, इसी वजह से शहर में काम नहीं हो पा रहे हैं।
फर्म को लकड़ी का भुगतान करने के लिए आदेश दिया था लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। यह अनुशासनहीनता है। इस मामले में जो दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी। – निधि गुप्ता वत्स, नगर आयुक्त।