
बरेली : स्वतंत्रता दिवस पर तीन तलाक़ पीड़िताओं ने आज़ादी के मायने बताते हुए मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पैरवी की। आला हजरत सोसाइटी की अध्यक्ष निदा ख़ान ने कहा कि जैसे उन्हें तीन तलाक़ के अभिशाप से मुक्ति मिली, वैसे ही मुस्लिम समाज की सोच में भी बदलाव आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें केवल चार दीवारों में कैद एक अस्तित्व समझने वाली मानसिकता अब बदलनी होगी।
निदा खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल की सराहना करते हुए कहा कि बिना किसी भेदभाव के मुस्लिम बहनों को आगे बढ़ाने का संकल्प सरकार ने दिखाया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हमारी बहन सोफ़िया कुरैशी को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का अहम हिस्सा बनाया गया, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में मजबूत कदम है।
उन्होंने अफ़सोस जताया कि समाज के कुछ पुराने ठेकेदार अब भी महिलाओं को पीछे खींचने में लगे हैं। उन्हें डर है कि अगर हमारी बेटियाँ पढ़ीं, जागीं और अपने हक़ की आवाज़ उठाईं, तो उनकी झूठी बादशाहत ढह जाएगी, निदा ने कहा। तीन तलाक़ पीड़िताओं ने मिलकर दुआ की कि मुस्लिम महिलाओं को वह सच्ची आज़ादी मिले, जिसके वे हक़दार हैं।
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