बरेली: सत्य साई बिल्डर्स के मालिक रमेश गंगवार के कई ठिकानों पर इनकम टैक्स की रेड जारी

बरेली। रमेश गंगवार के संस्थानों पर आयकर विभाग लखनऊ की टीम ने छापेमारी की थी वही लगातार साई बिल्डर के मालिक के शहर और देहात स्थित आवास समेत सिटी कार्यालय पर बीते 24 घंटे से इनकमटैक्स की छापेमारी जारी है, रमेश गंगवार पिछले कई सालों से समाजसेवा के रास्ते राजनीति में जाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया है।

पिछले 24 घंटे से छानबीन चल रही है छानबीन में इनकम टैक्स की टीम को करोड़ों रुपये के टैक्स चोरी की जानकारी मिली है. टीम ने उसके ऑफिस से टैक्स चोरी के कई अहम दस्तावेज जब्त किए हैं चुनावी माहौल के ठीक बीचों बीच हुई इस रेड ने सभी को चौंका दिया है, अभी तक यह तो साफ नहीं हुआ है कि रिकवरी क्या हुई है, लेकिन पिछले 24 घंटे से लगातार जारी रेड के दौरान उनके कई ठिकानों और कई करीबियों को गहराई से खंगाला गया है।

वह चाहें अफसर हों या नेता – उनके कई नजदीकी माने जाने वालों के माथों पर पसीना है। क्योंकि यह माना जा रहा है कि अगर जांच का दायरा बढ़ा तो एक बड़ा तूफान आ सकता है, कई बड़े खिलाड़ी सामने आ सके हैं। फिलहाल इनकम टैक्स विभाग की ओर से अभी तक आधिकारिक रूप से कुछ भी बोला नहीं गया है, सूत्रों के मुताबिक रेड पूरी होने पर आधिकारिक बयान दिया जायेगा।

शहर की गतिविधियों पर नजर रखने वालों के लिए यह रेड चौंका गई। रमेश गंगवार, जो पिछले कुछ सालों में अपने तेजी से उछले व समृद्धशाली हुए, कंस्ट्रेक्शन व्यवसाय व बढ़ते साम्राज्य के कारण एक बड़ा नाम बन चुके हैं। उनके कई ठिकानों पर रेड की गई। जिनमें बरेली, लखनऊ व काशीपुर शामिल है। बरेली में शुरुआत में करीब पचास से ज्यादा इनकम टैक्स अधिकारियों की टीम ने राजेन्द्र नगर में सत्य साईं बिल्डर एंड कान्ट्रेक्टर के कार्यालय, रमेश गंगवार के निवास, उनकी दुकानों तथा उनके कुछ करीबियों पर भी छापेमारी की।

24 घंटे बाद सुबह इनकमटैक्स विभाग से तीन गाडियां और पहुंची है इससे पूर्व उनके एक करीबी ठेकेदार, जो कि राजेन्द्र नगर क्षेत्र में ही रहते हैं तथा राजनीतिक रुप से अपनी पहचान भी रखते हैं, उनको भी खंगाला गया। उनके एक खास माने जाने वाले व्यवसायी के दफ्तर के शटर बंद पाये गए। यह भी चर्चा है कि नवाबगंज में उनके गांव दलेलनगर के घर पर भी इनकम टैक्स विभाग के अफसर पहुंचे हैं। हांलाकि कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दिए जाने की वजह से यह साफ नहीं हो सका है कि कोई रिकवरी हुई है या नहीं, या फिर किस प्रकार की सूचना पर यह छापे डाले गए हैं। कुछ दिनों पहले ही उनके व्यवसाय पर जीएसटी विभाग की छापेमारी की गई थी। शहर में इस चर्चित रेड को लेकर कुछ कहानियां भी हैं, जो हवा में तैर रही हैं।

यह साफ है कि श्री गंगवार की नजदीकी कुछ राजनेताओँ तथा कई अफसरों से भी है। परदे के पीछे से कुछ अफसरों और नेताओं का इन्वेस्टमेंट होने के चर्चे भी आम रहते हैं। इस रेड के बाद उन बड़े बड़े अफसरों और उन नेताओं के भी पसीने छूट रहे हैं जिनकी श्री गंगवार से दोस्ती के किस्से आम हैं, यह सभी सोच रहे हैं कि कहीं इस जांच की आग बढ़ते बढ़ते उनके घर तक ना आ जाये।

हालांकि ब्यूरोक्रेसी में यह भी चर्चा है कि इस रेड के तार कुछ अफसरों की उनसे नाराजगी से भी जुड़े हुए हो सकते हैं। बहुत ही सामान्य बैकग्राउंड से आकर एक बड़े बिजनेस आईकान बन चुके रमेश गंगवार पर छापे की खबर कई सवाल खड़े कर रही है। बरेली में वह अपने ‘खास सम्बंधों’ की बदौलत स्मार्ट सिटी और बीडीए के बड़े और प्रभावशाली ठेकेदार रहे हैं। हालांकि स्मार्ट सिटी के उनके कई काम अधूरे ही बताये जाते हैं। छन कर आ रही खबरें बता रही हैं कि उनके ही एक खास राजदार ने उनके सभी राज एक सही प्लेटफार्म पर खोल दिए हैं, जिसका यह परिणाम है। कुछ ही सालों में उनकी ग्रोथ सैकड़ों गुना हुई बताई गई है, इसलिए उनके कई दुश्मनों का सक्रिय होना भी सामान्य बात है। हांलाकि उनके एक नजदीकी व्यवसायी का यह कहना है कि रमेश गंगवार के बारे में जितनी बड़ी बड़ी बातें हैं,

वह हकीकत से दूर हैं। क्योंकि कोई ऐसी बड़ी रिकवरी होने की उम्मीद नहीं है। अब सच चाहें जो हो, उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी इसके पीछे एक बड़ी वजह बताई जा रही है। हाल ही में वह भी लोकसभा के चुनाव में एक दावेदार के रूप में माने जा रहे थे, मीडिया में जब कुछ ऐसी खबरें चलीं कि – समाजसेवी रमेश गंगवार भी संतोष गंगवार की सीट पर टिकट के प्रबल दावेदार हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर संतोष गंगवार को आदरणीय व पिता तुल्य बताते हुए इन खबरों का खंडन किया। हाल ही में उन्होंने 251 कन्याओं के विवाह का एक बेहद भव्य कार्यक्रम भी किया, जिसमें संतोष गंगवार समेत लगभग सभी प्रमुख अधिकारी व राजनेता शामिल भी हुए।

अब यह रेड सामान्य है या असामान्य परिस्थितियों में की गई है, यह तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता है लेकिन यह तो साफ है कि अगर इस कहानी की परतें ज्यादा खुलीं तब इसकी आंच कुछ अफसरों तक भी जायेगी और कुछ नेताओं तक भी। साथ ही नेताओं के उन खासमखास नजदीकियों और रिश्तेदारों तक भी जो जमीनों को गिरवी रखकर बैंक गारंटी का खेल करने के अभ्यस्त बताये जाते हैं। आधिकारिक रूप से किसी की भी ओर से कुछ भी नहीं कहा गया है पर यह साफ है कि फिलहाल इस पूरी रेड के नेपथ्य में कुछ तो ऐसा है – जिसकी अभी परदेदारी है। जिसे 24 घंटे बीत चुके है और यह छापेमारी आगे कई दिनों तक चल सकती है।

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