बरेली: एलपीजी गैस एजेंसी के गोदाम में लगी भीषण आग, 340 से अधिक सिलेंडरों में हुआ विस्फोट

  • सुरक्षा मानकों की अनदेखी: एक भयावह लापरवाही का नतीजा
  • प्रशासन और एजेंसियों की जवाबदेही

फरीदपुर। बरेली बिथरी चैनपुर क्षेत्र के रजऊ परसपुर गांव में स्थित एक एलपीजी गैस एजेंसी के गोदाम में सोमवार को भीषण आग लग गई। इस दुर्घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में दहशत फैलाई, बल्कि सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी को भी उजागर कर दिया। बताया जा रहा है कि आग गैस सिलेंडरों से भरे ट्रक में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी, जिसके बाद एक के बाद एक 340 से अधिक सिलेंडरों में विस्फोट हुआ।

यह हादसा प्रशासन और एजेंसियों की लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है।एलपीजी गैस एजेंसियों के लिए सरकार की ओर से कई कड़े सुरक्षा मानक तय किए गए हैं। इनमें आग से बचाव के लिए फायर एक्सटिंग्विशर, रेत, पानी की पर्याप्त व्यवस्था, कर्मचारियों का प्रशिक्षण, सिलेंडरों का सुरक्षित भंडारण और गोदामों की नियमित जांच शामिल है। लेकिन, इस घटना में साफ दिखा कि इन मानकों का पालन सही तरीके से नहीं किया गया।

गोदाम में आग से निपटने की अपर्याप्त व्यवस्था

आग लगने के बाद एजेंसी मालिक ने अग्निशमन यंत्रों और रेत का इस्तेमाल किया, लेकिन वे आग बुझाने में पूरी तरह असफल रहे। यह दर्शाता है कि या तो उपलब्ध उपकरण सही तरीके से काम नहीं कर रहे थे या फिर कर्मचारियों को इन्हें इस्तेमाल करने का उचित प्रशिक्षण नहीं मिला था।

शॉर्ट सर्किट से आग लगना— क्या उचित वायरिंग नहीं थी?

रिपोर्ट के अनुसार, आग ट्रक के केबिन में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या एजेंसी में बिजली के तारों की नियमित जांच होती थी? गैस सिलेंडरों से भरे वाहन की वायरिंग विशेष सुरक्षा मानकों के अनुरूप होनी चाहिए ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके।गोदाम की बनावट और सुरक्षा उपायों की कमी

इस हादसे में राहत की बात यह रही कि आग गोदाम के अंदर तक नहीं पहुंची, जहां अन्य सिलेंडर रखे थे। लेकिन यह भी बड़ा सवाल खड़ा करता है कि अगर आग अंदर तक फैल जाती, तो क्या वहां पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम थे? क्या गोदाम के निर्माण में सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था?

आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली की धीमी गति

आग लगने के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड को फोन किया गया, लेकिन दमकल टीम को मौके पर पहुंचने में कितना समय लगा? ऐसे हादसों में एक-एक मिनट की देरी भी विनाशकारी साबित हो सकती है। अगर समय पर फायर ब्रिगेड पहुंचती तो शायद स्थिति इतनी भयावह न होती। गैस एजेंसी के आसपास के ग्रामीणों में इस हादसे के कारण भारी दहशत फैल गई। सिलेंडरों के फटने से तेज धमाकों की आवाजें दूर-दूर तक सुनी गईं।

कई लोगों ने अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागना शुरू कर दिया। यह घटना इस बात का संकेत देती है कि रिहायशी इलाकों के पास इस तरह के गोदामों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है।अब सवाल उठता है कि प्रशासन इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई करेगा? क्या गैस एजेंसी के मालिक से सुरक्षा मानकों की अनदेखी के लिए जवाब मांगा जाएगा? क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।

क्या गैस एजेंसियों की नियमित जांच होती है?

यदि इस एजेंसी का समय-समय पर ऑडिट किया जाता और सुरक्षा मानकों की सही से जांच होती, तो शायद यह हादसा टल सकता था।क्या कर्मचारियों को आपातकालीन स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण मिला था?

गैस एजेंसी जैसे संवेदनशील स्थान पर काम करने वाले कर्मचारियों को आग लगने या अन्य आपातकालीन स्थितियों से निपटने का उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। क्या अन्य गैस एजेंसियों की सुरक्षा का अब मूल्यांकन होगा?

इस हादसे के बाद प्रशासन को चाहिए कि वह अन्य गैस एजेंसियों का भी निरीक्षण करे और यह सुनिश्चित करे कि कहीं और ऐसी लापरवाही न हो।

इस घटना से सबक लेते हुए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए—

  • गैस एजेंसियों की नियमित और सख्त जांच
  • प्रशासन को चाहिए कि वह सभी गैस एजेंसियों की नियमित जांच करे और जो भी मानकों का उल्लंघन करता है, उस पर भारी जुर्माना लगाया जाए।
  • आपातकालीन प्रबंधन की व्यवस्था।
  • हर गैस एजेंसी में कर्मचारियों को अग्निशमन और आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
  • सुरक्षा मानकों को और सख्त किया जाए।
  • रिहायशी इलाकों के पास गैस गोदामों को लेकर नए नियम बनाए जाने चाहिए।
  • इस तरह की संवेदनशील जगहों के लिए खास सुरक्षा उपाय लागू किए जाने चाहिए।
  • ट्रकों और अन्य वाहनों की वायरिंग और मेंटेनेंस की जांच।
  • ट्रकों में शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं को रोकने के लिए नियमित निरीक्षण और सुरक्षा जांच अनिवार्य की जानी चाहिए।

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