
बरेली: चिकित्सा के क्षेत्र में बरेली ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। शहर के मिशन हॉस्पिटल में पहली बार बिना चीरे और बिना तार के अत्याधुनिक लीडलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। 87 वर्षीय बुजुर्ग मरीज के दिल में यह डिवाइस महज 25 मिनट में डाली गई। इस ऐतिहासिक प्रक्रिया को हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. तन्मय अग्रवाल के नेतृत्व में अंजाम दिया गया।
प्रेस वार्ता में डॉ. तन्मय अग्रवाल ने बताया कि यह डिवाइस अमेरिका की प्रमुख मेडिकल टेक्नोलॉजी कंपनी मेडट्रॉनिक द्वारा विकसित की गई है, जिसका नाम माइक्रा वीआर टू है। यह दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर है जिसे पैर की नस के जरिए सीधे हृदय में प्रत्यारोपित किया जाता है। खास बात यह है कि इसमें न तो सर्जिकल चीरे की आवश्यकता होती है, न ही किसी तार (लीड) की।
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में संक्रमण का खतरा नगण्य होता है और मरीज बहुत जल्दी स्वस्थ हो जाता है। मरीज को 24 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस डिवाइस की बैटरी लगभग 16 वर्षों तक चलती है। अब तक भारत में केवल 6 बार यह तकनीक अपनाई गई है, जिनमें उत्तर प्रदेश में यह दूसरी बार और बरेली में पहली बार किया गया है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने कार्डियोलॉजी की पढ़ाई अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज से की है और अहमदाबाद स्थित वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग सेंटर से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया। इससे पहले वे दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और राम मूर्ति मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे चुके हैं।
मिशन हॉस्पिटल के प्रेसिडेंट व बरेली के मेयर डॉ. उमेश गौतम ने बताया कि अब हृदय रोगियों को इलाज के लिए दिल्ली या लखनऊ नहीं जाना पड़ेगा। अस्पताल के प्रबंध निदेशक पृथु वात्स्यायन ने कहा कि यह उपलब्धि बरेली को मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नई पहचान देगी।
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