बरेली : कोल्ड स्टोरेज में लगी आग ने उजाड़ा लाखों का कारोबार, प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान

  • अलहदपुर क्षेत्र में भयावह अग्निकांड से मची अफरातफरी
  • धुएं और लपटों से दहले ग्रामीण
  • शॉर्ट सर्किट या लापरवाही का नतीजा?

बरेली। इज्जतनगर थाना क्षेत्र के ग्राम अलहदपुर क्षेत्र स्थित एक कोल्ड स्टोरेज में बुधवार दोपहर को जो आग लगी, उसने केवल भंडारित आलू नहीं जलाए, बल्कि लाखों की मेहनत, किसानों की उम्मीदें, और प्रशासन की लापरवाहियों को भी राख कर दिया। तेज लपटों और काले धुएं की चादर ने पूरे इलाके को दहला दिया। नजारा ऐसा था मानो काला तूफान आसमान से उतर आया हो।घटना दोपहर करीब एक बजे की है। अचानक कोल्ड स्टोरेज के भीतर से आग की लपटें उठने लगीं। भीतर से चीख-पुकार की आवाजें आने लगीं। मजदूर और कर्मचारी अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागे।

गांव के लोगों ने जब आसमान में धुएं का भारी गुबार देखा, तो कोल्ड स्टोरेज की ओर दौड़े। आग इतनी विकराल थी कि कुछ ही मिनटों में स्टोरेज का बड़ा हिस्सा लपटों में समा गया। एक के बाद एक धमाके हो रहे थे, मानो भीतर कुछ फट रहा हो।आग लगने की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड को कॉल किया गया, लेकिन हमेशा की तरह देरी ने हालात और बिगाड़ दिए।

जब तक पहली दमकल पहुंची, तब तक आग अपना विकराल रूप दिखा चुकी थी। तीन से अधिक दमकल गाड़ियां बुलाई गईं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दमकलकर्मियों को आग बुझाने में घंटों मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू, लकड़ी की पैंकिंग, और अन्य ज्वलनशील सामग्री आग को और भड़काते रहे।

आग लगने के कारण को लेकर प्रशासन ने अपनी पुरानी रट लगाई – “संभावित शॉर्ट सर्किट।” लेकिन गांववालों का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज में। सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं था। न अग्निशमन यंत्र थे, न अलार्म सिस्टम। यहां तक कि निकासी के लिए उचित व्यवस्था भी नहीं थी। यह सिर्फ एक अग्निकांड नहीं, बल्कि एक सिस्टम की नाकामी है, जो न तो सुरक्षा मानकों का पालन करता है, और न ही आम आदमी की मेहनत की कद्र करता है।

कोल्ड स्टोरेज में रखे गए आलू, टमाटर और अन्य सब्जियां किसानों की फसलें थीं, जिन्हें उन्होंने अपनी कमाई और पसीने से उगाया था। अब वे सब राख हो चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार इस अग्निकांड में लगभग 40 से 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ है, लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक न कोई मुआवजे की घोषणा हुई है और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई।

घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने हालात का ‘जायजा’ लिया, फोटो खिंचवाई, और मीडिया को बयान देकर वापस लौट गए। लेकिन न कोई ठोस कदम, न कोई राहत। स्थानीय लोगों में नाराजगी है कि जब जान-माल का नुकसान हो चुका, तब ये रस्मअदायगी किस काम की?

गांव के लोगों ने साफ कहा कि कोल्ड स्टोरेज में पहले भी कई बार तकनीकी खामियों की शिकायतें की गई थीं, लेकिन अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया। “अगर समय रहते सुरक्षा मानकों को लागू किया जाता, तो शायद यह हादसा न होता,” – ये शब्द एक किसान के हैं जिसकी 200 बोरी आलू इस आग में जलकर खाक हो गईं।

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