बरेली : बिजली विभाग या दबंगों का अड्डा ? जिम्मेदार अफसर ही दे रहे जान से मारने की धमकी !

बरेली। उत्तर प्रदेश की व्यवस्था और कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के दावे जितने ज़ोर-शोर से किए जाते हैं, ज़मीनी सच्चाई उससे ठीक उलट दिखाई देती है। बरेली से आई एक चौंकाने वाली घटना ने न सिर्फ बिजली विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी उजागर कर दिया है कि विभाग के कुछ अफसर अपने रसूख और सरकारी ओहदे के दम पर आम नागरिकों को डराने, धमकाने और जान से मारने तक की हिम्मत रखने लगे हैं। यह घटना 16 अप्रैल की है।

मो. अफजल अवर अभियंता प्रवर्तन दल द्वितीय बरेली। ने आरोप लगाया है कि राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित एक गोष्ठी में भाग लेने मुख्य अभियंता वितरण बरेली क्षेत्र के कार्यालय पहुंचा था। गोष्ठी के समाप्त होने के बाद, लगभग 6:30 बजे, मुझ पर जो कुछ गुज़रा, वह किसी गुंडाराज से कम नहीं था।

विभाग के ही जयदीप पाल, जो कि टी.जी.-2 के पद पर कार्यरत है, ने न सिर्फ मेरे साथ गाली-गलौज की, बल्कि खुलेआम जान से मारने की धमकी दी। और यह बताया कि जयदीप पाल ने कई बार हमला करने का प्रयास भी किया और धमकी दी कि वह बाहरी लोगों से पिटवाकर या हत्या कराकर सबक सिखाएगा।मो०अफजल ने बताया कि क्या विभागीय शिकायत करना भी जान जोखिम में डालने के बराबर हो गया है? क्या अब विभाग के भ्रष्टाचार या गैरकानूनी कार्यों पर सवाल उठाने वालों को इसी तरह सरेआम धमकाया जाएगा?

इस पूरे घटनाक्रम की जड़ में एक पूर्ववर्ती मामला है। 19 मार्च को फरीदपुर में एक व्यक्ति रोहिताश शर्मा के परिसर से विभागीय मीटर बरामद हुआ था। इस मामले में विद्युत अधिनियम की धारा 136 और 137 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था। शिकायत के आधार पर कार्रवाई हुई और विभाग के एक अन्य अफसर को सस्पेंड किया गया। यही वजह थी कि जयदीप पाल आगबबूला हो उठा और उसने खुलेआम स्वीकार किया कि “तेरे द्वारा जो मुकदमा दर्ज कराया गया उसकी की वजह से मेरा परिचित सस्पेंड हुआ है, अब तुझे और तेरे परिवार को छोड़ूंगा नहीं।”

क्या अब उत्तर प्रदेश में विभागीय कार्रवाई को निजी दुश्मनी में तब्दील कर दिया गया है? क्या सरकारी अफसर अब इतना बेखौफ हो गए हैं कि वे खुलेआम धमकियां दे सकते हैं, मारपीट कर सकते हैं और फिर भी उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती?

इस घटना ने बिजली विभाग की कलई खोलकर रख दी है। एक ओर जहां विभाग करोड़ों रुपये की बिजली चोरी पर काबू नहीं पा सका है, वहीं दूसरी ओर ईमानदारी से काम करने वाले या शिकायत दर्ज कराने वाले लोगों को विभागीय अफसर ही अपना दुश्मन मानने लगे हैं। सवाल यह है कि जब विभाग का ही अफसर खुलेआम कहे कि “मैं तुझे जान से मार दूंगा,” तो उस विभाग की नैतिकता, जवाबदेही और कानून के प्रति सम्मान कहाँ गया?

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं है। यह पूरे सिस्टम पर एक तमाचा है। जब विभाग के भीतर ही ऐसे गुंडा तत्व सक्रिय हों, तो आम जनता का भरोसा कैसे कायम रहेगा? और अगर कोई कार्रवाई नहीं होती, तो इसका मतलब साफ है कि ऐसे तत्वों को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है।

सीओ विजिलेंस मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि मुझे एक शिकायती प्रार्थना पत्र मिला है। दोनों ही अफसर पावर कारपोरेशन में कार्यरत हैं। इसलिए मैंने मुख्य अभियंता को पत्र भेज दिया गया है। आगे की वैधानिक कार्रवाई की जाएगी

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