बरेली : बिजली विभाग की ‘जुगाड़ू राहत’ बनी मजाक, बिजली आपूर्ति के लिए तरस रहें लोग

  • नवाबगंज की जनता बिजली के लिए बेहाल, जिम्मेदार मौन
  • बिना अलर्ट, शहर में बिजली कटौती बनी आम
  • गर्मी बढ़ी, लेकिन बिजली विभाग का सिस्टम फेल

भास्कर ब्यूरो

बरेली। नवाबगंज और हाफिजगंज क्षेत्र में बिजली संकट ने लोगों की नींद और चैन दोनों छीन लिए हैं। जिन क्षेत्रों में कभी 24 घंटे बिजली की उम्मीद की जाती थी, वहां अब लोग घंटेभर की आपूर्ति के लिए तरस रहे हैं। यह संकट कोई प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि बिजली विभाग की वर्षों पुरानी लापरवाही, घटिया रखरखाव और संवेदनहीन रवैये का परिणाम है।

नवाबगंज और हाफिजगंज के 132/33 केवी उपकेंद्रों पर दो 40 एमवीए के ट्रांसफार्मर लगे हैं। 9 अप्रैल को पहला ट्रांसफार्मर फुंक गया। चेतावनी साफ थी कि दूसरा ट्रांसफार्मर ज्यादा दिन लोड नहीं झेल पाएगा। लेकिन बिजली विभाग की ओर से न कोई बैकअप तैयार किया गया, न ही वैकल्पिक ट्रांसफार्मर की व्यवस्था। वही हुआ जिसकी आशंका थी मंगलवार दोपहर दूसरा ट्रांसफार्मर भी ध्वस्त हो गया।उसके बाद नवाबगंज अर्बन और ग्रामीण, हाफिजगंज, क्योलड़िया, रिठौरा और चनुआ जैसे बड़े इलाकों में पूरी तरह ब्लैकआउट छा गया। न दिन को पंखा चला, न रात को बल्ब जला। बच्चों की पढ़ाई, मरीजों की दवा, दुकानदारों की कमाई सब पर ताला लग गया।

जब क्षेत्रीय जनता उबाल पर पहुंच गई, तो बिजली विभाग ने जुगाड़ के तौर पर दोहना से बिजली आपूर्ति जोड़ने की कोशिश की। साथ ही दुआवट और डडूआ के सोलर पैनल के जरिए बिजली देने का भी ड्रामा किया गया। लेकिन इन स्रोतों से महज कुछ घंटों की कटौती वाली आपूर्ति ही हो पा रही है। यानी एक कदम आगे, दो कदम पीछे।

बिजली विभाग के अधिकारी भले दावा कर रहे हों कि जल्द ही स्थिति सामान्य होगी, लेकिन जमीन पर हकीकत ये है कि अभी भी अधिकतर इलाकों में रोस्टिंग चल रही है, ट्रिपिंग हो रही है और लोग चूल्हे की आंच में, मोमबत्ती की रौशनी में दिन गुजारने को मजबूर हैं।

जब मामला हद से गुजर गया, तो नवाबगंज के विधायक एमपी आर्य को खुद पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर चेतावनी देनी पड़ी। उन्होंने यहां तक कहा कि वे यह मामला विधानसभा में उठाएंगे। विधायक की नाराजगी बताती है कि यह संकट आम नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई लापरवाही का नतीजा है। सवाल ये है कि जब ट्रांसफार्मर पहले ही खराब हो चुका था, तो दूसरे की सुरक्षा और वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई?

केवल नवाबगंज नहीं, शहर भी बिजली विभाग की लापरवाही की गिरफ्त में है। बृहस्पतिवार को भीषण गर्मी के बीच शहर के कई इलाकों में बिजली का हाल बेहाल रहा।चौपुला, रेलवे कॉलोनी सिविल लाइंस-2 सबस्टेशन के 11 केवी फ्यूज उड़ने से आपूर्ति ठप हो गई।
सीबीगंज, सर्वोदयनगर में लो वोल्टेज की समस्या से उपकरण जलने की नौबत आ गई।कुतुबखाना, शास्त्री मार्केट में शाम के समय घंटों की कटौती रही।

नगर निगम क्षेत्र,ट्रांसफार्मर के ऊपर से निकल रही 11 हजार वोल्ट की लाइन में आग लगने से सप्लाई रोकनी पड़ी। इन तमाम घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया कि न केवल ग्रिड लेवल बल्कि स्थानीय स्तर पर भी बिजली विभाग की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है।

नए मुख्य अभियंता ज्ञान प्रकाश ने बृहस्पतिवार को कार्यभार संभालते ही अधिकारियों की बैठक ली और “कठोर निर्देश” दिए। उन्होंने बिजली चोरी रोकने के लिए मॉर्निंग रेड करने को कहा, हेल्प डेस्क को मजबूत करने और समय से शिकायतों का निस्तारण करने का निर्देश दिया।

परंतु बड़ा सवाल ये है कि क्या यह सब कागजी खानापूर्ति तक ही सीमित रहेगा? क्या बरेली की जनता को वाकई इस बार राहत मिलेगी या फिर वही पुराना खेल होगा दावे, वादे और अंततः नाकामी?
मुख्य अभियंता ने माना कि गर्मी में लोड बढ़ने से फॉल्ट अधिक होते हैं।

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