बरेली : अपराधियों के हौसले बुलंद… फायरिंग कर महिलाओं को कार से खींचा, पुलिस बनी अंजान

  • आईजी के आदेश के बाद थाना बारादरी में दर्ज हुआ मुकदमा

बरेली । जैसे तेजी से बढ़ते शहर में अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं और थाना बारादरी जैसे थानों की लापरवाही के चलते अपराधियों के हौसले आसमान छू रहे हैं। 17 अप्रैल की रात जो हुआ, वह किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था – फर्क सिर्फ इतना था कि यह हकीकत थी, और पीड़ित परिवार आज भी सदमे में है।

कर्मचारी नगर निवासी सर्वेश सिंह ने बताया कि अपने परिवार के साथ एक शादी समारोह में जा रहे थे। कृष्णा रेस्टोरेंट के सामने जैसे ही उनकी कार पहुँची, तभी आठ-दस बदमाशों ने दो गाड़ियों में आकर उनकी कार को रोक लिया। बदमाशों ने फिल्मी अंदाज में सर्वेश की कार को घेर कर महिलाओं को जबरन कार से खींचा और बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। यही नहीं, जब परिवार ने विरोध किया तो तमंचा लहराते हुए गला दबाने की कोशिश की गई और फायरिंग कर दी गई।

घटना के बाद सर्वेश सिंह को निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। आस-पास के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अर्श उर्फ सिमरन, सुभिर अहमद, प्रीत किंग, जसकीरत, प्रिंस, वंश सहित तीन-चार अन्य अज्ञात बदमाश इस हमले में शामिल थे। अब सवाल यह उठता है कि शहर के पॉश इलाकों में से एक, जहाँ बड़े-बड़े होटल और विवाह स्थल हैं, वहाँ इतनी बड़ी घटना हो जाती है और थाना बारादरी को इसकी भनक तक नहीं लगती? थाना बारादरी की भूमिका हमेशा से ही संदिग्ध रही है। चाहे वह पुराने लंबित मामलों की जांच हो या अपराधियों की सांठगांठ, इस थाने पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इन सवालों के जवाब कभी नहीं मिलते, क्योंकि जवाबदेही नाम की कोई चीज इस थाने में बची ही नहीं।

अगर इस मामले में कोई एक सकारात्मक पहलू है, तो वह है आईजी राकेश सिंह की सक्रियता। घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने तत्काल थाना बारादरी को फटकार लगाई और सख्त निर्देश दिए कि मुकदमा दर्ज कर तत्काल कार्रवाई की जाए। उनकी तत्परता से एफआईआर दर्ज हुई और आरोपी चिन्हित किए गए।

आईजी राकेश सिंह का यह एक्शन मोड न सिर्फ पीड़ित परिवार के लिए राहत बना, बल्कि आम जनता में भी उम्मीद की किरण जगी कि कोई तो है जो अपराधियों और लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ आवाज उठा रहा है।बारादरी थाना क्षेत्र में अपराधियों का जिस तरह बोलबाला है, वह कहीं न कहीं पुलिस की नाकामी नहीं, बल्कि मिलीभगत का नतीजा लगता है। सवाल उठता है कि जब क्षेत्र में इस गैंग के नाम पहले से चर्चा में थे, तब इन पर शिकंजा क्यों नहीं कसा गया?

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