
- कहां थे जब अधिग्रहण हुआ था?
- अब अवैध कब्जेदारों की गुहार से नहीं रुकने वाला बुलडोजर का पहिया
भास्कर ब्यूरो
बरेली। रामगंगानगर इलाके में एक बार फिर बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) की सख्ती देखने को मिल रही है। मगर इस बार माफिया या भू-खसोटों के खिलाफ नहीं, बल्कि उन आम लोगों के खिलाफ जो दलालों की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर सरकारी अधिग्रहीत जमीन पर अपने खून-पसीने की कमाई से घर बना बैठे। अब उन्हें बीडीए के नोटिस मिल चुके हैं, और 25 अप्रैल के बाद उनके सपनों का आशियाना मलबे में बदल सकता है।
यह कहानी सिर्फ जमीन पर बने घरों की नहीं है, यह उस भ्रष्ट सिस्टम की कहानी है जहां पहले सरकार जमीन अधिग्रहित करती है, फिर मुआवजा देती है, फिर वही जमीन दलाल दोबारा बेंच देते है, और जब कब्जा पक्का हो जाता है तो बुलडोजर लेकर सरकारी अमला दोबारा पहुंचता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस पूरे खेल में असली दोषी कौन है- दलाल, कब्जेदार या वो तंत्र जो सब कुछ देखकर भी अनदेखा करता रहा?बीडीए ने चंदपुर बिचपुरी, मोहनपुर, डोहरिया और अहिरौला गांवों की करीब 269.965 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की थी।
इस अधिग्रहण के बाद संबंधित किसानों को मुआवजा भी दे दिया गया। मगर इसके बाद जो जमीन खाली छोड़ी गई थी, उस पर भू-माफियाओं और दलालों ने अपनी नजरें गड़ा दीं। उन्होंने भोले-भाले लोगों को सपना दिखाया, ‘ये जमीन जल्द ही बीडीए से छूट जाएगी’, ‘अब कब्जा लो, बाद में लीगल करा देंगे’, ‘कागज तो हैं हमारे पास’ और आम लोगों ने इन झूठे वादों पर भरोसा कर लिया।
आज की तारीख में वही लोग जो अपना आशियाना समझकर जमीन पर घर बना बैठे थे, अब एक-एक ईंट को बचाने के लिए बीडीए कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।बीडीए के वीसी मानिकंदन ए.के. ने जैसे ही मामले की गंभीरता को समझा, तत्काल सर्वे के आदेश दिए गए। निर्माण विभाग की टीम ने मौके पर जाकर करीब दो दर्जन से अधिक मकानों को चिन्हित किया, जो अधिग्रहीत भूमि पर बनाए गए थे। इसके बाद सभी कब्जेदारों को चेतावनी नोटिस भेजे गए और 20 अप्रैल तक कब्जा हटाने का निर्देश दिए गए थे।
मगर नोटिस के बाद जो घबराहट पैदा हुई, वह जमीन कब्जाने से पहले क्यों नहीं हुई? क्या इन लोगों ने बिना सत्यापन के करोड़ों रुपए खर्च कर घर बना लिए? और अगर हां, तो क्या इनसे ज्यादा दोषी वे दलाल नहीं हैं जो हर रोज एक नया शिकार फंसाते हैं?
नोटिस की अवधि बीत चुकी है और अब बीडीए पूरी तैयारी में है कि 25 अप्रैल के बाद बुलडोजर चलाया जाए। इस कार्रवाई से पहले कब्जेदारों ने वीसी से व्यक्तिगत मुलाकात कर राहत की गुहार लगाई, मगर जिस जमीन का अधिग्रहण अधिसूचना के तहत हो चुका हो, उस पर रियायत देना कानूनन भी मुश्किल है।
ऐसे में संभावना बेहद कम है कि बीडीए अपने रुख में कोई नरमी दिखाए।सबसे बड़ा सवाल यही है– जब जमीन अधिग्रहीत थी, तब उसे बेचने वाला कौन था? क्या बीडीए को नहीं पता कि रामगंगानगर क्षेत्र में अधिग्रहण के बाद भी प्लॉटिंग हो रही थी? इन दलालों के खिलाफ कितने मुकदमे दर्ज हुए? अगर बीडीए सच में ज़िम्मेदार है, तो इस गोरखधंधे को बढ़ावा देने वालों को जेल भेजा जाना चाहिए।
बीडीए उपाध्यक्ष मनिकंडन ए. ने बताया कि प्राधिकरण की अधिग्रहत भूमि का सर्वे कराया गया। यहां अतिक्रमण मिला है। अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी कर दिया गया है। इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी।