
Bareilly: प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में गुरुवार को निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में कई संगठनों ने एकजुट होकर जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री को संबोधित इस ज्ञापन में आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत विद्युत कर्मचारियों के शोषण, असमान वेतन, सुरक्षा की अनदेखी और बढ़ती दुर्घटनाओं को लेकर गहरी चिंता जताई गई।
संयुक्त मोर्चा में शामिल क्रांतिकारी लोक अधिकारी संगठन, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ, विद्युत तकनीकी एकता संघ, इंकलाबी मजदूर केंद्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि संविदा कर्मियों से लाइनमैन, उपकेंद्र परिचालन और तकनीकी जैसे अत्यंत जोखिमपूर्ण कार्य करवाए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो पर्याप्त सुरक्षा उपकरण दिए जा रहे हैं, और न ही न्यूनतम वेतन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। परिणामस्वरूप आए दिन कर्मचारी जानलेवा हादसों का शिकार हो रहे हैं।
प्रतिनिधियों ने बताया कि विभाग में पहले से ही कर्मचारियों की भारी कमी है, इसके बावजूद मनमाने ढंग से छंटनी की जा रही है। 55 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों को सेवा से बाहर किया जा रहा है और उनका बकाया वेतन भी रोका जा रहा है, जो न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि कर्मचारी हितों के खिलाफ भी है।
ज्ञापन में मांग की गई है कि संविदा व निविदा कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु तक कार्य की अनुमति दी जाए, छंटनी पर तत्काल रोक लगाई जाए, समान वेतनमान सुनिश्चित किया जाए और फेशियल अटेंडेंस जैसे दमनकारी उपायों को समाप्त किया जाए। इसके अतिरिक्त बिजली से झुलसे या खंभे से गिरकर घायल कर्मचारियों का कैशलेस इलाज कराने की भी मांग की गई।
ज्ञापन सौंपने वालों में फैशल, सोहेल, रामसेवक, हिमांशु, मोहित, प्रशांत, उमेश, पप्पू समेत दर्जनों कर्मचारी शामिल रहे। प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में जमकर नारेबाजी भी की।
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