
दरियाबाद, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक सनसनीखेज और दुखद घटना ने सामाजिक ताने-बाने को झकझोर दिया है। टिकैतनगर थाना क्षेत्र के बक्सूपुर में 14 अगस्त की रात एक दलित युवक को सिर्फ समोसा मांगने की वजह से बेरहमी से पीटा गया, जिसके बाद उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया है, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

क्या थी पूरी घटना?
14 अगस्त 2025 की रात करीब 9:30 बजे, दरियाबाद थाना क्षेत्र के ननिहापुर गांव निवासी संदीप कोरी (अनुसूचित जाति) बक्सूपुर में बाबूलाल के होटल पर समोसा खरीदने गया था। आरोप है कि होटल मालिक बाबूलाल और उसके बेटे नरायन (लोध समुदाय) ने संदीप को जातिसूचक गाली दी और लोहे की रॉड से उस पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। गंभीर रूप से घायल संदीप को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन सोमवार रात इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

पुलिस की सुस्ती पर सवाल
घटना के बाद टिकैतनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी की। नए कोतवाल जगदीश प्रसाद शुक्ला के सामने अब आरोपियों को गिरफ्तार करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की बड़ी चुनौती है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता और SC/ST (नृशंसता निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है, लेकिन आरोपी बाबूलाल और नरायन अभी फरार हैं और उनका होटल बंद पड़ा है।
ग्रामीणों का उबाल, सड़क जाम
संदीप की मौत की खबर फैलते ही मंगलवार सुबह उनके परिवार और सैकड़ों ग्रामीणों ने टिकैतनगर-दरियाबाद मुख्य मार्ग पर शव रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। सड़क जाम होने से यातायात ठप हो गया। टिकैतनगर, दरियाबाद और राम सनेही घाट थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। सीओ जय शंकर मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों को समझा-बुझाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजवाया। करीब एक घंटे बाद यातायात सामान्य हो सका।
पुलिस की कार्रवाई तेज, लेकिन चुनौतियां बरकरार
सीओ जय शंकर मिश्रा ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं। पुलिस का दावा है कि जल्द ही फरार आरोपियों को पकड़ लिया जाएगा। हालांकि, स्थानीय लोगों में पुलिस की प्रारंभिक ढिलाई को लेकर गुस्सा है, और यह मामला क्षेत्र में जातिगत तनाव को बढ़ाने का कारण बन सकता है।
सामाजिक सौहार्द पर खतरा
यह घटना न केवल एक व्यक्ति की दर्दनाक मौत का मामला है, बल्कि जातिगत हिंसा और सामाजिक असमानता की गहरी जड़ों को भी उजागर करती है। संदीप की मौत ने स्थानीय समुदाय में गुस्से की लहर पैदा कर दी है, और यह प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है।