
Bangalore Stampede: 3 जून 2025 ये वही तरीख़ है जब RCB ने 17 साल के लम्बे इंतजार अपना पहला आईपीएल ख़िताब जीता, हर तरफ पटाखे फूट रहे थे, जश्न मनाया जा रहा था। पर 3 जून को अहमदबाद से निकली खुशियों की गाड़ी बैंगलुरु पहुंचते-पहुंचते कब मातम में तब्दील हो गयी पता ही नहीं चला। बैंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जीत का जश्न मानाते मची भगदड़ ने 11 जान ले ली, 30 से ज्यादा लोग अभी भी घायल है। स्टेडियम के अंदर RCB की जीत का जश्न मनाया जा रहा था और बाहर लोग अपनी जान गँवा बैठे। हादसे को पूरा एक दिन बीत चुका है, पर एक सवाल अभी भी शाश्वत है कि आखिर इस घटना का जिम्मेदार है कौन ? RCB, कर्नाटक सरकार, पुलिस प्रसाशन, या खुद जीत के बाद भावुक होकर जश्न मनाने उमड़ी जनता ? सवाल गंभीर है पर जवाब कोई नहीं देना चाहता।
जिम्मेदार कौन ?
अगर नजर जश्न से पहले की खबरों पर डालें तो समझ में आता है कि बैंगलोर पुलिस पुलिस ने ओपन परेड कराने से साफ़ मना कर दिया था, लेकिन RCB मैनेजमेंट का कहना था कि कम से कम थोड़ी देर के लिए ही सही जश्न की अनुमति दी जाये। अब सवाल ये है कि अगर बैंगलोर पुलिस ने ये परेड कराने से हाथ खड़े कर दिए थे तो किसने परमिशन दी। चलो परमिशन मिली भी तो सुरक्षा के लिए क्या इंतज़ाम किये गए थे। खबरों की माने तो मौके पर 1000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे। पर 2.5 लाख लोगों के लिए इतने कम सुरक्षा कर्मी ये बात हज़म नहीं होती।
BCCI ने पल्ला झाड़ लिया कि, जी ये तो फ्रेंचाइजी का मामला है हम कुछ नहीं जानते…RCB कह रही है हम आहत है, कर्नाटक सरकार कह रही है स्टेडियम में क्षमता से ज्यादा लोग आ गए। DCM डीके शिवकुमार ने खुद बयान दिया कि स्टेडियम की क्षमता 35000 है पर लोग 2 लाख से भी ज्यादा आ गए। मतलब आपको इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि लोग इतनी भारी संख्या में आ सकते है। अब अगर कोई जिम्मेदारी लेना ही नहीं चाहता तो गलती किसकी है ये कौन तय करेगा। और हां सबसे बड़ी बात की अगर सब प्लान के मुताबिक हो रहा था और सारे पुख्ता इंतज़ाम किये गए थे तो 35000 कैपेसिटी वाले स्टेडियम में 2.5 लाख लोग पहुंचे कैसे ? ये निशुल्क टिकट की अफवाह में कितनी सच्चाई है एक जाँच इस बात पर भी होनी चाहिए।
सूत्रों की मानें तो आईपीएल चेयरमैन अरुण धूमल तक को इस कार्यक्रम की जानकारी नहीं थी, मायने ये कार्यक्रम आईपीएल कमेटी की जानकारी से बाहर था।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 5 जून को इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार का पक्ष सुना और सुनवाई के लिए 10 जून की तारीख दी गयी। इस दौरान निशुल्क टिकट, स्टेडियम के कितने दरवाजे खुले थे, सुरक्षा के लिए क्या सुविधा की गयी थी सब कुछ सुना। अब 10 जून को न्यायालय क्या फैसला लेता है ये देखने योग्य होगा।
किसपर हुई कार्रवाई ?
6 जून को कार्रवाई के रूप में बेंगलुरु पुलिस ने RCB के सीनियर मार्केटिंग हेड निखिल सोसाले और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के 3 अधिकारियों- किरण, सुमंथ और सुनील मैथ्यू को गिरफ्तार किया। RCB के मार्केटिंग हेड निखिल को दुबई जाते वक्त बेंगलुरु एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने चारों लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत पर भेजा है। निखिल ने हाईकोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। सोमवार को उसकी याचिका पर सुनवाई होगी।
KSCA अधिकारियों ने दिया इस्तीफा
मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के सचिव ए शंकर और कोषाध्यक्ष ईएस जयराम ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। केएससीए अधिकारियों ने शुक्रवार (6 जून) को इस दुखद घटना के लिए नैतिक जिम्मेदारी के आधार पर अपने-अपने इस्तीफे की घोषणा की।
KSCA अधिकारियों ने 7 जून (शनिवार) को एक प्रेस नोट जारी कर इसकी जानकारी दी, जिसपर लिखा था, “यह सूचित किया जाता है कि पिछले दो दिनों में हुई अप्रत्याशित और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण, जिसमें हमारी भूमिका बहुत सीमित थी, लेकिन नैतिक जिम्मेदारी के कारण, हम यह बताना चाहते हैं कि कल रात हमने कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के अध्यक्ष को के एक पत्र के माध्यम से कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के सचिव और कोषाध्यक्ष के रूप में अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।”
अब KSCA के अधिकारीयों का ये इस्तीफा सच में नैतिक जिम्मेदारी है या कोई नहीं नयी थ्योरी ? और अगर KSCA इतना ही जिम्मेदार था तो ये इस्तीफा घटना के 3 दिन बाद क्यों आया। उसी दिन क्यों नहीं?
जनता भावुक है उसे जब भी ख़ुशी के कुछ पल मिलते है तो वो दौड़ती हुए चली जाती है उन पलों को जीनें, पर हुक्मरानों का क्या ? प्रशासन का क्या ? आखिर सरकार इस लिए होती है क्या, कि बाहर जनता को मरने के लिए छोड़ दे और अंदर खुद जश्न मनाये।
क्या डीके शिवकुमार को ये नहीं पता था कि स्टेडियम की क्षमता कम है? या जीत का जश्न मनाने की इतनी जल्दी थी कि ये सोचा ही नहीं, अगर भींड़ आयी तो कैसे संभालेंगे। बाहर भगदड़ मची हुई है और अंदर फोटो सेशन चल रहा है, क्या यही एक जिम्मेदार सरकार करती है, क्या किसी ने उन्हें भगदड़ की जानकारी नहीं दी। या फिर जश्न मनाने के आगे सब कुछ नजरअंदाज़ कर दिया गया?
हालाँकि कर्नाटक सरकार ने मृतकों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है, पर क्या इस मुआवजे से जिसने अपना बेटा, बेटी खोया उसकी भरपाई हो जाएगी। जिस माँ ने अपना बच्चा खोया उसके दिल से तो बस एक ही आवाज़ निकल रही होगी, कि जो भी जिम्मेदार है उसे सजा दो, और हमें इन्साफ।
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