दैनिक भास्कर न्यूज
बांदा। सूबे में कई गांव जहां आदर्श ग्राम का दर्जा प्राप्त कर मॉडल बन चुके हैं, वहीं जनपद की ग्राम पंचायत खैराडा के लोग विकास किसे कहते हैं, यह भी नहीं जानते। गांव की दुर्दशा का अंदाजा कदम रखते ही लग जाता है। यहां की गलियों में न तो सीसी रोड हैं और न ही सड़क किनारे नालियों का निर्माण कराया गया है। बारहों महीने रास्ते में जलभराव होने से निकलना दूभर है। इस पानी में मच्छरों के लार्वा पल रहे हैं, जिससे गांव के लोग नींद भर सो तक नहीं पाते। गांव के लोग इस सबके लिये ग्राम पंचायत सचिव को जिम्मेदार ठहराते हैं।
गांव की गलियों में न सीसी रोड हैं, न नालियां
ग्राम पंचायत खैराडा के लोगों ने अपने जीवन विकास नहीं देखा। गांव भीतर न तो हर गली में सीसी रोड रोड हैं और न ही दूषित जल निकासी के लिये नालियों की व्यवस्था। ग्राम वासियों के लिये चार कदम भी पैदल चल पाना दूभर है। बरसात के दिनों में हालात इतने ज्यादा खराब हो जाते हैं कि गंदा पानी लोगों के घरों में जाकर भरता है। हर साल तमाम ग्रामीणों की गृहस्थी का भी सामान भीग जाता है। गांव में पेयजल के लिये पर्याप्त हैंडपंप नहीं हैं, जो हैं वे खराब पड़े हैं। उनकी मरम्मत तक नहीं करवाई जाती।
भरे हुए गंदे पानी में पनप रहे मच्छरों के लार्वा
कुएं कम होने के कारण ग्रामीणों को पानी की जरूरत दूर हैंडपंपों पर जाकर पूरी करनी पड़ती है। इन हैंडपंपों पर सुबह-शाम इतनी ज्यादा भीड़ हो जाती है कि अक्सर जल्दी पानी भरने को लेकर आपस में झगड़ा भी हो जाता है। केंद्र और राज्य सरकार ने गरीबों और दलितों के लिये तमाम सारी कल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं, लेकिन ग्राम पंचायत सचिव अमीनुद्दीन बिना मुट्ठी गरम किये इन योजनाओं का सीधा लाभ पात्र व्यक्तियों को दिलवाने को तैयार नहीं है। यहां तक कि गांव के तमाम सारे पात्र गरीबों को सरकार द्वारा दिया जाने वाला राशन भी मुहैया नहीं हो पा रहा। गांव के चुन्नी, केशरिया, कल्लू और रामदीन का आरोप है कि ग्राम पंचायत सचिव भ्रष्ट है, जिसकी वजह से गांव के विकास का पहिया थमा हुआ है। इस संबंध में ग्रामीण मंडल मुख्यालय आकर उच्चाधिकारियों से कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई न होने से समस्या जस कि तस बनी हुई है।
गोयरा और चंदपुरा की भी कमोवेश यही स्थिति
ग्राम पंचायत खैराडा के साथ ही अमीनुद्दीन के पास ग्राम पंचायत गोयरा मुगली और चंदपुरा के सचिव का भी चार्ज है। इन गांवों के लोग भी विकास न हो पाने के कारण बेहद निराश हैं। यहां के रामपाल, सीताराम और कल्ली का कहना है कि उनकी तरह गांव में तमाम लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है।
ग्राम पंचायत सचिव को जिम्मेदार मानते ग्रामीण
सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिये वह पात्र लाभार्थी हैं, लेकिन सचिव उन तक योजनाओं का लाभ पहुंचने में रोड़ा बना हुआ है। इस संबंध में बात करने पर वह सीधे धन की बात करता है। गांव के लोगों ने बताया कि उसका साफ कहना है कि वह कमाने आया है। बिना जेब गर्म किये कोई लाभ नहीं मिलता।