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बांदा। माध्यमिक संस्कृत शिक्षक कल्याण समिति की नई जिला कार्यकारिणी का गठन सर्वसम्मति से हुआ। पर्यवेक्षक और चुनाव अधिकारी की देखरेख में रामभवन तिवारी को निर्विरोध अध्यक्ष व अतुल पांडेय का महामंत्री चुना गया। नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने एकजुट होकर शिक्षक हित में कार्य करने का संकल्प लिया।
माध्यमिक संस्कृत शिक्षक कल्याण समिति कार्यकारिणी गठित
स्टेशन रोड स्थित रामलीला संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में मंगलवार को माध्यमिक शिक्षक संघ समिति चुनाव की गहमागहमी रही। चुनाव पर्यवेक्षक प्रदेश उपाध्यक्ष ओमप्रकाश तिवारी व प्रदेश महामंत्री डा.सुखनंदन मिश्र की देखरेख में निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हुई। शिक्षकों ने सर्वसम्मति से नई जिला कार्यकारिणी का गठन किया। सभी पदाधिकारी निर्विरोध चुने गए। रामभवन तिवारी जिलाध्यक्ष व अतुल पांडेय महामंत्री बनाए गए। शिवनारायण त्रिवेदी व डॉ.दीपेश द्विवेदी को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। मनहरण त्रिपाठी व रमाशरण गर्ग मंत्री नियुक्त हुए। प्रद्योत त्रिपाठी कोषाध्यक्ष व रामनरेश चतुर्वेदी प्रचार मंत्री नामित हुए।
नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने एकजुटता का लिया संकल्प
ब्रह्मदत्त त्रिवेदी को संगठन मंत्री, डा.वरुण मिश्रा प्रवक्ता और सुधीर पांडेय आडिटर बनाए गए। जबकि डा.इच्छाराम पाठक, रामचंद्र गर्ग व श्याम बिहारी अग्निहोत्री केंद्रीय प्रतिनिधि मनोनीत किए गए। प्रदेश महामंत्री ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को एकजुट होकर संस्कृत शिक्षकों के हित में काम करने की नसीहत दी। नव गठित कार्यकारिणी पदाधिकारियों का शिक्षकों ने फूलों की माला पहनाकर जोरदार स्वागत किया। प्रदेश उपाध्यक्ष ने सभी का आभार जताया। संचालन डा.वरुण मिश्र ने किया।
बकाया भुगतान न होने पर आंदोलन की चेतावनी
बकाया मानदेय व पेंशन भुगतान न होने पर माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में तैनात शिक्षकों में रोष है। शिक्षकों ने बकाया भुगतान शीघ्र न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। निर्वतमान जिलाध्यक्ष देव कुमार त्रिपाठी व महामंत्री प्रद्योत त्रिपाठी ने कहा है कि माध्यमिक विद्यालयों में तैनात संस्कृत शिक्षकों को मानदेय नहीं मिल रहा। सेवानिवृत्त शिक्षकों को पेंशन भी नहीं मिल पा रही। संस्कृत शिक्षकों का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। आरोप लगाया कि लेखाधिकारी शासनादेश पालन के बजाए शिक्षकों का उत्पीड़न कर रहे हैं। लेखाधिकारी के निलंबन और कार्रवाई की मांग की। मानदेय व पेंशन तत्काल स्वीकृत न होने पर संस्कृत शिक्षकों ने आंदोलन की चेतावनी दी।