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बांदा। अक्षय नवमी को आंवले के पेड़ों के नीचे पिकनिक स्पॉट नजर आये। सच यह है कि आंवले का फल मानव जीवन के लिये अत्यंत उपयोगी माना जाता है। पूर्वजों ने अक्षय नवमी को आंवले के पेड़ को पूजने और इसके नीचे भोजन करने की प्रथा शायद इसलिये बनाई थी कि लोग इसकी उपयोगिता को समझ सकें और आंवले के पेड़ों का संरक्षण हो सके।
महिलाओं ने आंवला की पूजा कर मांगा सुख.समृद्धि का वरदान
बुधवार को अक्षय नवमी के अवसर पर महिलाओं ने घरों में पकवान बनाए और फिर आंवले के पेड़ तले जाकर पहले विधिविधान से पूजन किया। इसके बाद परिवार के साथ भाेजन ग्रहण किया। हालांकि शहर मे आंवले के पेड़ों की संख्या लगातार घटती जा रही हैए जबकि अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ों को पूजे जाने का उद्देश्य सिर्फ यह है कि आंवले के नये पेड़ लगाये जायें। लोग आंवले की उपयोगिता को समझें। अक्षय नवमी के पर्व का धार्मिक महत्व होने के साथ ही लोगों को इसकी आयुर्वेदिक उपयोगिता को भी समझनी होगी।
आंवले के पेड़ के नीचे किया सपरिवार भोजनए की मौज.मस्ती
अक्षय नवमी के दिन सभी को आंवला सहित अन्य आयुर्वेदिक वृक्षों और पौधों को लगाने का संकल्प लेना होगा। वहीं अक्षय नवमी का दूसरा पहलू व्यस्ततम और भागदौड़ भरी जिंदगी में धर्म के नाम पर कुछ पल परिवार के साथ बिताने का भी माना जाता है। ऐसे में लोग आंवला के नीचे एकत्र होकर भाेजन करते हैं और आंवला के महत्व को समझते हैं। शहर के पहाड़ी बाबाए अलीगंजए कलेक्ट्रेट परिसर समेत विभिन्न स्थानों पर मौजूद आंवले के वृक्षों के नीचे महिलाओं और बच्चों की खासी भीड़ उमड़ी। महिलाओं ने जहां पूजा अर्चना में अपना ध्यान नहीं लगायाए वहीं बच्चों ने जमकर मौज.मस्ती की।
अक्षय नवमी को लेकर प्रचलित कथा
आंवला के पेड़ के नीचे भोजन करने को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। बताते हैं कि अक्षय नवमी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा करके क्रान्ति का शंखनाद किया था। इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए लोग आज भी अक्षय नवमी पर असत्य के विरुद्ध सत्य की जीत के लिए मथुरा.वृन्दावन की परिक्रमा करते हैं। मथुरा.वृंदावन में अक्षय नवमी का विशेष महत्व बताया जाता है। वहीं विद्वानों का मत है कि अक्षय नवमी को आंवला पूजन से अखंड सौभाग्यए घर में शांतिए आयु एवं संतान वृद्धि होती है।