बांदा : वर्षाकाल में सक्रिय बेखौफ बालू चोरों के गिरोह, पुलिसिया सांठगांठ का आरोप

बांदा: प्रदेश सरकार की खनन नीति के अनुसार 30 जून से वर्षाकाल लागू हो जाता है और अक्टूबर माह तक नदियों पर बालू का खनन प्रतिबंधित रहता है। लेकिन बालू चोरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे शासन की नीतियों को धता बताकर खुलेआम बालू का खनन करा रहे हैं और पुलिस को कमाई का मोटा हिस्सा देने के साथ ही अपनी जेबें भर रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की शह से ही बालू चोर सक्रिय हैं और दिन-रात नदियों किनारे स्थित खेतों से जबरन बालू निकालकर महंगे दामों में बेच रहे हैं। वैसे तो वर्षाकाल में बालू का खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन बालू चोरों को रोक पाना शायद किसी के वश में नहीं है।

नरैनी कोतवाली क्षेत्र से लेकर गिरवां थाना क्षेत्र के कई गांवों में खुलेआम बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। नरैनी कोतवाली के मऊ गिरवां गांव के किसान महेश पुत्र कैरा यादव ने तहसीलदार नरैनी को शिकायती पत्र देकर खुलेआम हो रहे बालू चोरी के खेल का खुलासा किया है।

शिकायती पत्र में किसान ने बताया कि केन नदी की बाढ़ में उसके खेतों में बालू आ गई है, जिसे गांव का किसान राजकरन जबरन निकाल रहा है। आरोपी राजकरन का खेत उसके खेत से लगा हुआ है। विरोध करने पर वह एससी,एसटी एक्ट में फंसाने की धमकी देता है। आरोपी राजकरन ने इसके पहले भी उसके ऊपर एससी,एसटी एक्ट लगवाने का प्रयास किया था, जिससे वह किसी तरह बच निकला।

यह तो एक बानगी मात्र है; ऐसी ही हालत कोतवाली क्षेत्र के कई गांवों में देखी जा सकती है। वर्षाकाल में बालू खनन बंद होने के बाद इलाके में बालू चोरों की बाढ़ सी आ गई है। बालू चोर दर्जनों ट्रैक्टरों के जरिए किसानों के खेतों से बालू निकालकर एक जगह भंडारण करते हैं और बाद में उसे महंगे दामों पर बेचकर मालामाल होते हैं।

बताया जाता है कि इस व्यापार में राजस्व और पुलिस विभाग का भी हिस्सा होता है। सूत्रों के अनुसार, बालू चोरों को शह देने के एवज में कोतवाली पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारियों को कमाई का मोटा हिस्सा दिया जाता है। किसानों ने अपने खेतों को बालू चोरों के कहर से बचाने और बालू चोरों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बालू चोर जहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वहीं सरकारी राजस्व को लाखों की चपत लगा रहे हैं।

बालू चोरों का गढ़ बना जरर गांव

बालू चोरों के साथ पुलिसिया सांठगांठ का एक और नमूना गिरवां थाने के जरर गांव में देखने को मिलता है। यहां बालू चोरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे सरकारी भवनों को अपना निशाना बनाने से भी नहीं चूकते।

जरर गांव में ग्रामीणों की सहूलियत के लिए बनाए गए ग्राम सचिवालय और बारात घर के बाहर बालू चोरों ने अवैध बालू का भंडारण कर रखा है और प्रशासन को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। जरर गांव के पास से गुजरी केन नदी में दिन के उजाले में बालू चोर भारी भरकम मशीनों और मजदूरों के जरिए बालू का अवैध खनन कराते हैं और ट्रैक्टरों में बालू लादकर सरकारी भवनों के बाहर जमा करते हैं। इसके बाद रात के अंधेरे में यही बालू ट्रकों में लादकर दूसरे शहरों को भेज दिया जाता है।

ग्रामीणों का आरोप है कि बालू चोरी के खेल में स्थानीय पुलिस चौकी अकबरपुर की मिलीभगत रहती है और पुलिस अपना हिस्सा लेकर बालू चोरों को अवैध खनन की मूक सहमति प्रदान करती है।

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