
- एक वर्ष से चल रही अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की प्रक्रिया, अब तक लटकी
- बांदा-बहराइच राजमार्ग में पपरेंदा से चिल्ला तक प्रस्तावित है फोरलेन सड़क
बांदा। जहां एक ओर प्रदेश की योगी सरकार विकास कार्याें को तेज गति से पूरा कराने और आम जनता काे इनका लाभ पहुंचाने के दावे करती है, वहीं सरकारी विभागों के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित न हो पाने के कारण तमाम परियोजनाएं अधर में लटक कर रह जाती है। जिससे जहां सरकारी धन की बर्बादी होती है, वहीं सरकार की विकासपरक योजनाओं का लाभ आम जनता तक समय से नहीं पहुंच पाता है।
ऐसा ही एक मामला बांदा-बहराइच राजमार्ग में पपरेंदा से चिल्ला तक प्रस्तावित फोरलेन सड़क के निर्माण में सामने आया है, जिसमें पीडब्लूडी और वन विभाग के बीच अनापत्ति प्रमाण पत्र को लेकर खींच तान मची हुई और करीब एक साल से वन विभाग की ओर से अनापत्ति प्रमाण नहीं जारी किया जा रहा है। जिससे सड़क का निर्माण कार्य शुरू कराने को लेकर विलंब हो रहा है और ठेकेदार की मशीनें धूल फांक रही हैं। अब जिलाधिकारी जे.रीभा ने वन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर मामले में हस्ताक्षेप करने की बात कही है।
बांदा-बहराइच राज मार्ग के किमी संख्या 284 से 301 तक (पपरेंदा से चिल्ला) फोरलेन सड़क का िनर्माण एक अरब छत्तीस करोड़ 91 लाख रुपए की लागत से प्रस्तावित है। जिसकी टेंडर प्रक्रिया जुलाई 2024 पूरी कर ली गई थी और कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड-2 की ओर से ठेकेदार राज कांस्ट्रक्शन को हरी झंडी दे गई। इतना ही नहीं हरी झंडी मिलते ही राज कांस्ट्रक्शन ने सड़क निर्माण में जरूरी प्लांट व मशीनरी आदि की व्यवस्था भी कर ली। लेकिन टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के एक साल बाद भी सड़क निर्माण का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है।
जबकि शासन स्तर से वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति के साथ ही 47 करोड़ 91 लाख 85 हजार रुपए की धनराशि भी अवमुक्त कर दी गई है। सड़क निर्माण शुरू न होने के पीछे पीडब्लूडी व वन विभाग के बीच आपसी सामंजस्य की कमी को कारण बताया जाता है। बता दें कि वन सरंक्षित भूमि का अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने को लेकर कार्यदायी संस्था ने जून 2024 में ही ऑनलाइन प्रस्ताव कर दिया था, लेकिन वन विभाग की ओर से अभी तक अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है। वेबसाइट पर स्टेटस के स्थान पर पेंडिग एट स्टेट सेक्रेट्री रिकमन्डेशन दर्शाया जा रहा है।
वन विभाग की मनमानी के चलते योगी सरकार की विकासोन्मुख मंशा को पलीता लग रहा है। बता दें कि करोड़ों की परियोजना जहां अधर में लटकी हुई है, वहीं ठेकेदार की मशीनरी भी धूल फांक रही है। दो विभागों की खींचतान के बीच निर्माण का ठेका हासिल करने वाली राज कांस्ट्रक्शन दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है और अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रही है।
जिलाधिकारी ने वन विभाग को किया पत्राचार
बांदा-बहराइच राजमार्ग पर पपरेंदा से चिल्ला तक बनने वाली फोरलेन सड़क का काम शुरू न हो पाने का मुख्य कारण 18 किमी लंबाई वन संरक्षित भूमि में होने को बताया जाता है। िजसकी एनओसी को लेकर करीब एक साल से पेंच फंसा हुआ है। हालांकि हाल ही में जिलाधिकारी जे.रीभा ने अपने स्तर से वन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर पूरे मामले के स्टेटस से अवगत कराया है और अग्रिम कार्रवाई करते हुए शीघ्र ही अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कराने की बात कही है।
ताकि सड़क निर्माण परियाेजना का काम जल्द से जल्द शुरू कराया जा सके। उधर कार्यदायी संस्था के अफसर कान में तेल डालकर बैठे हैं। जबकि दो विभागों के बीच आम जनता के साथ ठेकेदार पिस रहे हैं। पीडब्लूडी के अधिशासी अभियंता आरके सोनकर से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्हाेंने फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा।
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