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बांदा। सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ वट सािवत्री का व्रत रखा और बरगद के वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना कर फेरी लगाई। सुबह से ही शहर के सभी वट वृक्षों के नीचे लाल जोड़े में सोलह श्रंगार से सजी सुहागिन महिलाओं की भारी भीड़ लगी रही।
वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को होता है। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को विधि विधान से करती हैं और वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर फेरी लगाती हैं। हिंदू धर्म में वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास माना जाता है। वट वृक्ष को शिव के समान माना जाता है। यही कारण है कि अनेक व्रत-त्योहारों में वट वृक्ष की पूजा हो है। अमावस्या रविवार को दिन 2 बजकर 55 मिनट पर लगी, जो कि सोमवार को शाम 4 बजकर 59 मिनट तक मानी गई। गर्मी के मौसम को देखते हुए सोमवार को सुबह 4 बजे से शहर के सभी बरगद के वृक्षों के नीचे लाल जोड़ा और सोलह श्रंगार से सजी सुहागिन महिलाओं की भारी भीड़ देखने को मिली। पौ फटने के बाद भीड़ और भी ज्यादा बढ़ गई। महिलाओं को भीड़ के कारण देर तक अपनी बारी का इंतजार भी करना पड़ा। महिलाएं प्रत्येक वर्ष वट सावित्री व्रत का इंतजार करती हैं। यह व्रत पति की दीर्घायु और संतान के उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है। वट सावित्री व्रत करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में प्रकृति के संरक्षण तथा उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए प्राकृतिक तत्वों की पूजा की परंपरा है। सनातन धर्म में वृक्षों की भी पूजा का विधान है, क्योंकि इस वृक्ष में देवताओं का वास माना गया है। वट वृक्ष या बरगद को हिंदू धर्म में विशेष मान्यता है।
तीन दशक बाद बना सर्वार्थ सिद्धि संयाेग
सत्यवान और सावित्री को समर्पित वट सावित्री व्रत इस बार सोमवती अमावस्या के साथ गजब संयोग लेकर आया है। करीब तीन दशक बाद सोमवती व बरगदाही अमावस्या का सर्वार्थ सिद्धि योग बना है, जो कि सभी के लिए सुखकारी है। विद्वान पंडित बालेंद्र द्विवेदी बताते हैं कि वैसे तो वट सावित्री के दिन बरगद के वृक्ष की पूजा करने का विधान है, लेकिन इस बार सोमवती अमावस्या का संयोग होने से बरगद के साथ ही पीपल के वृक्ष की भी पूजा की जाएगी। महिलाओं ने पीपल के पेड़ में सूत लपेटते हुए 108 परिक्रमा लगाई और इसके बाद बरगद के पेड़ की विधि विधान से पूजा की और फेरी लगाकर अपने पति की आयु बरगद के पेड़ की तरह ही लंबी होने की कामना की।