बांदा : बागेश्वर धाम के खिलाफ कांग्रेसियों ने कलक्ट्रेट में किया विरोध-प्रदर्शन

भास्कर ब्यूरो

  • लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पर दर्ज फर्जी रिपोर्ट रद्द करने की मांग
  • राष्ट्रपति को संबोधित चार सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा

बांदा। कांग्रेस पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने कलक्ट्रेट में बागेश्वर धाम जन समिति के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया। बागेश्वर धाम जन समिति के खिलाफ कांग्रेसियों ने जमकर नारेबाजी की। नारेबाजी और विरोध-प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति को संबोधित चार सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की।

स्टेशन रोड अवस्थी धर्मशाला स्थित जिला कार्यालय में सोमवार को जिले भर के तमाम कांग्रेसजन इकट्‌ठा हुए। जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित की अगुवाई में पदाधिकारी व कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए जुलूस की शक्ल में कलक्ट्रेट पहुंचे। यहां जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर बागेश्वर धाम जन समिति के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कांग्रेसियों ने विरोध-प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित चार सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी जे.रीभा को सौंपा।

कांग्रेस ने प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज मुकदमे को फर्जी बताते हुए इसे तुरंत वापस लेने और मारपीट व अभद्रता करते हुए बागेश्वर धाम समिति की एंबुलेंस से संदिग्ध हालत में महिलाओं को जबरन ले जाने की न्यायिक जांच की मांग की। कांग्रेसियों ने अपनी मांगों में ड्रग्स एंड मैजिक रेमडीज एक्ट 1954 को देशभर में लागू, लोकसभा में डायन शिकार निवारण विधेयक और उत्तर प्रदेश विधानसभा में अंधविश्वास विरोधी कानून पारित करने की मांग की। कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित ने कहा कि देश व प्रदेश में तथाकथित बाबा अपनी गद्दी बैठाने के लिए आश्रम बनाते हैं।

आश्रम बनाने के नाम पर गांव समाज की जमीनों और चारागाह, भीट पर बसे गरीबों को बेरहमी और अन्यायपूर्ण तरीके से हटाकर जमीनों पर कब्जा करते हैं। तथाकथित बाबा द्वारा अवैध कब्जों पर चलाए जा रहे आश्रमों की भी शासन जांच कराए। महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष सीमा खान ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन 1979 एवं भारत के संविधान में अनुच्छेद 51ए(एच) सभी नागरिकों से वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और जांच- पड़ताल की भावना विकसित करने की अपेक्षा करता है। लोकसभा में लाया गया डायन शिकार निवारण विधेयक पारित नहीं हुआ। लेकिन वर्तमान में यह कानून आज भी प्रभावी है।

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