Banda : जिला पंचायत अध्यक्ष के आरोपों पर सीजेएम कोर्ट का बड़ा फैसला, विधायक और पूर्व अध्यक्ष बरी

Banda : हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल को एक बार फिर जोर का झटका लगा है। इस बार उन्हें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में मुंह की खानी पड़ी और न्यायालय ने उनके द्वारा सदर विधायक व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सरिता द्विवेदी पर लगाए गए सभी आरोपों को गलत करार देते हुए प्रकरण को निरस्त कर दिया। सीजेएम ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि जिला पंचायत अध्यक्ष न तो पीड़ित पक्ष हैं और न ही प्रभावित। ऐसे में संबंधित प्रकरण निरस्त करने योग्य है।

बता दें कि जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर वर्ष 2018 से 2020 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं सरिता द्विवेदी पर 120 करोड़ रुपए के गबन करने और उनके पति, सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी, पर कूटरचित हस्ताक्षर कर जिला पंचायत कृषि महाविद्यालय में 11 नियुक्तियां करने का संगीन आरोप लगाया था।

मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष श्री पटेल ने यह भी आरोप लगाया था कि तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष के फर्जी हस्ताक्षर करके सदर विधायक ने महाविद्यालय में नियुक्तियां की और लाखों रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई। अध्यक्ष ने इस मामले को कई बार मीडिया के समक्ष प्रमुखता से उठाया, वहीं मंडलायुक्त से लेकर शहर कोतवाली तक प्रार्थना पत्र देकर मुकदमा दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। कहीं से कोई राहत न मिलने पर जिला पंचायत अध्यक्ष ने अदालत की शरण ली और सीजेएम न्यायालय में बीएनएस की धारा 175(3) के तहत मुकदमा दर्ज करने का प्रार्थना पत्र दिया।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने थाना कोतवाली नगर से आख्या तलब की और प्रकरण की सुनवाई करते हुए सभी तथ्यों की जांच की। अदालत ने पूरे मामले को गलत मानते हुए निरस्त कर दिया। आदेश में कहा गया कि आवेदनकर्ता ने बिना किसी साक्ष्य या तथ्य के तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष व सदर विधायक पर 120 करोड़ रुपए के गबन और महाविद्यालय में 11 नियुक्तियों को फर्जी करार देने का आरोप लगाया। जबकि आरोपों के संबंध में वह कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके।

कूटरचित हस्ताक्षर के मामले में तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष सरिता द्विवेदी ने दस्तावेजों में किए गए हस्ताक्षरों को अपने हस्ताक्षर बताया और आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने कई मामलों की नजीर प्रस्तुत करते हुए कहा कि कूटरचित हस्ताक्षरों के जरिए 11 नियुक्तियां व 120 करोड़ के गबन का आरोप अप्रमाणित तथ्यों के आधार पर लगाया गया।

अदालत ने स्पष्ट किया कि आवेदनकर्ता न तो मामले का पीड़ित पक्ष है और न ही प्रभावित। अदालत ने यह भी कहा कि आवेदनकर्ता ने तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष व सदर विधायक के खिलाफ दबाव बनाने के लिए अप्रमाणित और कपोल तथ्यों के आधार पर शिकायत दर्ज कराई थी।

गबन के मामले में खुद दोषी हैं जिला पंचायत अध्यक्ष
सीजेएम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष सरिता द्विवेदी और सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने अदालत को बताया कि मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल स्वयं वित्तीय अनियमितता के मामले में दोषी पाए जा चुके हैं। बताया गया कि चित्रकूटधाम मंडल के आयुक्त के आदेश पर जिलाधिकारी महोबा की जांच रिपोर्ट में उन्हें दोषी करार दिया जा चुका है।

जांचों में दोषी पाए जाने और अपने कार्यकाल के गबन व अपराधों को छिपाने तथा बेजा दबाव बनाने के लिए ही उनके खिलाफ गलत और तथ्यविहीन शिकायत दर्ज कराई गई थी। उन्होंने अदालत से मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ की जांच रिपोर्ट तलब करने की मांग की।

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