बबेरू के पडरी गांव में अधिवक्ता के घर मारपीट का मामला, अदालत दिए आदेश
पुलिस पर लगे थे अधिवक्ता के परिजनों के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट के आरोप
भास्कर न्यूज
बांदा। बबेरू थाने के पडरी गांव में अधिवक्ता व उनके परिजनों के साथ पुलिस की मारपीट के मामले में अदालत ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने के आदेश जारी किए हैं। विशेष न्यायाधीश डकैती नूपुर की अदालत में शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए सीओ बबेरू, थाना प्रभारी बबेरू, सिमौनी चौकी इंचार्ज समेत 11 नामजद और 14-15 अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज विवेचना कराने के आदेश दिए हैं। मुकदमा दर्ज होने के आदेश का अधिवक्ता संघ ने स्वागत किया है और अपना आंदोलन समाप्त करने का ऐलान कर दिया।
बताते चलें कि 13 मई को बबेरू कोतवाली क्षेत्र के पडरी गांव में रहने वाले अधिवक्ता केशव प्रसाद यादव के घर पुलिस टीम पहुंची और नोटिस तामील कराने के दौरान विवाद हो गया था और नौबत मारपीट तक पहुंच गई थी अधिवक्ता ने पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि बबेरू कोतवाली के दो पुलिस कर्मी बृजेश यादव व सलमान खान सादी वर्दी में गांव के बाहर बने पुरवा में ट्यूबवेल पर अपनी ईंट पाथ रहे बेटे जोगेंद्र व पुत्री प्रभा के पास पहुंचे। केशव प्रसाद के बारे पूछताछ की। किसी बात को लेकर पुलिस वाले गाली-गलौज करने लगे। विरोध करने पर मारपीट कर जोगेंद्र को घसीटते हुए जंगल की तरफ ले जाने लगे। बेटी प्रभा भाई को बचाने के लिए पहुंची तो उसके साथ अभद्रता की। उसे भी गाली देने लगे। शोर मचाने पर आसपास के लोग पहुंच गए। तब उन लोगों ने बताया कि वह पुलिस वाले हैं। बाद में दोनों सिपाहियों ने थाने में फोन कर फोर्स बुला ली।
सिमौनी चौकी प्रभारी दिलीप कुमार मिश्रा समेत दो दर्जन पुलिसकर्मी पहुंचे और एक राय होकर घर का दरवाजा तोड़ते हुए घर में दाखिल हो गए। कमरों में रखा सामान तहस-नहस कर दिया। पुलिस ने अधिवक्ता की पत्नी सावित्री, बहू सविता व बेटियों शिखा व प्रभा को बंधक बनाकर मारपीट की और अश्लील हरकतें कीं। दिलीप कुमार ने बक्से का ताला तोड़ दिया और पचास हजार नकद, जंजीर, चार अंगूठियां, सिपाही बृजेश व सलमान को दे दी। गर्भवती सविता ने विरोध किया तो दिलीप ने पेट में लात मार दी। वह गंभीर रूप से घायल हो गई। सभी को पुलिस कोतवाली बबेरू ले गई। शाम करीब आठ बजे बांदा स्थित झील के पुरवा में अधिवक्ता के मकान में दिलीप मिश्रा, बृजेश, सलमान व चार-पांच पुलिस कर्मी पहुंचे और दोनों बेटों व अधिवक्ता को पकड़ ले गए। सीओ बबेरू, प्रभारी निरीक्षक के निर्देश पर दिलीप मिश्रा, बृजेश, सलमान और सुखबीर सिंह, प्रवेश यादव व चार-पांच अन्य पुलिस व महिला कांस्टेबल शिवानी, कल्पना, आराधना व रेनू ने सबके साथ बेरहमी से मारपीट की। पुलिस ने पट्टों व लाठी-डंडे से पीटा। यह लोग जान से मारने की धमकी भी दे रहे थे। बेहोशी आने पर पानी मांगने पर पेशाब देते थे।
सीओ व कोतवाल के निर्देश पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया। इस मामले को लेकर अधिवक्ता संघ ने हड़ताल शुरू कर दी थी। हालांकि मुकदमा दर्ज करने के आदेश के बाद संघ ने फैसले का स्वागत करते हुए हड़ताल वापस ले ली है।
अधिवक्ताओं ने एसपी से की थी मुकदमा दर्ज करने की मांग
अधिवक्ता केशव प्रसाद यादव की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करने को लेकर अधिवक्ता संघ ने भी पुलिस अधीक्षक से मांग की थी, लेकिन अपने मातहतांे के खिलाफ एसपी ने कोई कार्रवाई नहीं की और अधिवक्ताओं को अदालत का सहारा लेना पड़ा। अधिवक्ताओं ने अदालत में 156(3) के तहत सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को लेकर प्रार्थना पत्र दिया। जिस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश डकैती नुपुर ने शुक्रवार को सीओ सत्यप्रकाश, बबेरू कोतवाली प्रभारी अरुण पाठक, सिमौनी चौकी प्रभारी दिलीप कुमार मिश्रा, कांस्टेबल सुखवीर सिंह, बृजेश यादव, सलमान खान, प्रवेश यादव, शिवानी, कल्पना, आराधना, रेनू और 14-15 अज्ञात पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश जारी किया।