जिला मुख्यालय समेत कस्बाई इलाकों में संचालित हो रहे अवैध स्टैंड
ऑल इंडिया परमिट का कवच ओढ़कर यूपी एमपी में दौड़ रहीं दर्जनों बसें
भास्कर न्यूज
नरैनी। जहां एक ओर योगी सरकार ने सूबे में अवैध परिवहन व जगह-जगह संचालित हो रहे अवैध बस व टैक्सी स्टैंड पर अंकुश लगाने के साथ ही संचालकों पर कठोर कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से अवैध रूप से बसों और स्टैंडों का संचालन किया जा रहा है। जिसे लेकर लोगों का कहना है कि नियम-कानून सिर्फ शरीफ लोगों के लिए ही हैं, जबकि दबंग आज भी खुलेआम अवैध कामों में संलिप्त हैं और पुलिस भी ऐसे दबंगों की मदद में आगे खड़ी रहती है।
पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश की दर्जनों डग्गामार बसें प्रदेश की सीमा में धड़ल्ले से फर्राटा भर रही हैं और सरकारी राजस्व को लाखों का चूना लगा रही हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन उन पर कार्रवाई करने के स्थान पर उनसे माहवारी वसूलने में मस्त है। ऐसा ही कुछ जिला मुख्यालय से लेकर कस्बाई इलाकों तक संचालित अवैध स्टैंडों में देखने को मिल रहा है, जहां अवैध वसूली का खेल खुलेआम खेला जाता है। जिला मुख्यालय से लेकर नरैनी, अतर्रा आदि कस्बों से मप्र के पन्ना, छतरपुर, सतना, चित्रकूट आदि इलाकों तक मप्र की करीब तीन दर्जन बसाें का बेड़ा खुलेआम फर्राटा भर रहा है और सवारियों को लाने ले जाने का काम होता है। आॅल इंडिया परमिट का कवच ओढ़कर बसें एक राज्य से दूसरे राज्य तक आवाजाही कर रही हैं और परिवहन विभाग के नियमों का खुलेआम माखौल उड़ा रही हैं। मजे की बात तो यह है कि मप्र के आरटीओ कार्यालय में इन बसों के संचालन के लिए मात्र पार्टी परमिट जारी कराया जाता है और पार्टी परमिट के एवज में ही बसों का जखीरा सवारियां ढोने का काम करता है। मप्र के आरटीओ कार्यालय में भी ऐसी बसों का कोई लेखा जोखा नहीं होता। डग्गामार बसों के संचालक पुलिस को हिस्सा देकर सड़कों पर बसें दौड़ा रहे हैं और पुलिस महकमा चुप्पी साधे सब कुछ देखता रहता है। हालांकि योगी सरकार की सख्ती के बाद नरैनी कोतवाल राकेश कुमार तिवारी ने कस्बा स्थित अवैध टैक्सी स्टैंड के संचालकों पर नकेल कसी तो उल्टा उन पर एक धर्म विशेष के ऊपर कार्रवाई करने के आरोप लगने लगे और उनकी कार्रवाई को ही संदेह के घेर खड़ा कर दिया गया। बशर्ते बसों और अन्य डग्गामार वाहनों का संचालन बदस्तूर जारी है।
बॉर्डर से सटे गांव तक का बनवाते परमिट
पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के बस संचालक अवैध बसों को दौड़ाने के लिए नियमों में भी खेल करते हैं। मप्र आरटीओ कार्यालय से ऐसी बसों का परमिट सीमा से सटे गांव के नाम पर बनवाया जाता है। बिना काउंटर साइन के यूपी की सीमा में घुस आते हैं और नरैनी, अतर्रा और मुख्यालय तक फर्राटा भरते हुए सवारियां ढोते हैं। पन्ना से आने वाली करीब दो दर्जन बसें नियमों के झोल करके सरकारी राजस्व को चूना लगा रही हैं। इतना ही नहीं कई बसों में तो किसी तरह का कोई परमिट ही नहीं है, लेकिन खुलेआम नरैनी चौराहें पर चल रहे टैक्सी स्टैंड में नंबर लगवाकर सवारियां ढोते हैं। ऐसे ही कालिंजर मार्ग पर भी करीब दर्जन भर बसें दौड़ रही हैं। वहीं नरैनी से सतना, नागपुर, बांदा, कानपुर आदि शहरों के लिए बसों का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा है। ऐसा ही कुछ नजारा जिला मुख्यालय के डीएम कॉलोनी रोड पर देखने को मिलता है, जहां मप्र के लिए जाने वाली बसें खुलेआम सवारियां भरती हैं।
प्रवर्तन दल पर भारी पड़ रहे लोकेशनबाज
ऐसा नहीं है कि जिला मुख्यालय से लेकर कस्बों तक हो रहे अवैध बसों व स्टैंडों के संचालन की जानकारी जिले के आरटीओ या पुलिस विभाग तक नहीं पहुंचती, लेकिन कुछ अधिकारी जहां अपना हिस्सा लेकर चुप्पी साध जाते हैं, वहीं गाहे-बगाहे कार्रवाई करने का मन बनाने वाले अफसरों का नेटवर्क बस संचालक के लोकेशन बाजों के सामने बौना साबित हो जाता है। बस के उप्र की सीमा में घुसते ही लोकेशन बाज सक्रिय हो जाते हैं। बस संचालकों ने करीब 15 किमी के अंतराल में एक मोबाइल धारी को तैनात कर रखा है, जो चेकिंग दल की जानकारी देता है। इसके एवज में उसे चंद सिक्के और मोबाइल का रिचार्ज मिलता है। हाल ही में सीओ नरैनी नितिन कुमार ने दो बसों को सीज कर दिया, लेकिन इससे अवैध डग्गामारी पर अंकुश लगने वाला नहीं है, इसके लिए वृहद स्तर पर अभियान छेड़ने की जरूरत है।