
Banda : पूरे जिले में दो दिनों तक हुई बेमौसम बारिश ने अन्नदाताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया। अतिवृष्टि से जिले भर में 80 प्रतिशत धान की फसल चौपट हो गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रदेश उपाध्यक्ष व बुंदेलखंड प्रभारी ने मुख्यमंत्री को डाक के माध्यम से पत्र भेजकर अतिवृष्टि से नष्ट हुई धान की फसल का सर्वे कराते हुए किसानों को तात्कालिक राहत और मुआवज़ा देने की मांग की है।
मोंथा तूफान के चलते पूरे जिले में दो दिनों तक हुई बेमौसम बारिश किसानों पर कहर बनकर टूटी। खेतों में पकने को तैयार धान की फसलें जलमग्न होकर सड़ चुकी हैं। अतिवृष्टि के कारण खेतों में तैयार खड़ी धान की फसलें भीग गईं और कई जगह गिर गईं। किसानों का कहना है कि फसल कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। किसानों के मुताबिक, बेमौसम बारिश से लगभग 80 फीसदी धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रदेश उपाध्यक्ष व बुंदेलखंड प्रभारी शालिनी सिंह पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को डाक के माध्यम से पत्र भेजकर किसानों के लिए तात्कालिक राहत और मुआवज़े की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह केवल फसलों का नुकसान नहीं, बल्कि किसानों के जीवन और भविष्य का प्रश्न है। जिस किसान की मेहनत पर प्रदेश की अन्न-व्यवस्था टिकी है, आज वही किसान असहाय खड़ा है।
बुंदेलखंड क्षेत्र पहले से ही सूखा, पलायन और आर्थिक पिछड़ेपन की मार झेल रहा है। बेमौसम बारिश यहां के किसानों के जीवन में विनाश बनकर आई है। खेतों में पानी भर जाने से न सिर्फ धान, बल्कि मसूर, चना और आलू जैसी आगामी फसलों की तैयारी भी रुक गई है। हजारों किसान अब बीज और खाद खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। कई किसानों के घरों में अन्न का संकट गहराने लगा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है। बुंदेलखंड का किसान हर बार विपरीत परिस्थितियों में उम्मीद का बीज बोता है, लेकिन मौसम ने उसकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
कृषि आपदा घोषित करते हुए बुंदेलखंड सहित सभी प्रभावित जिलों के किसानों के लिए तत्काल राहत पैकेज की घोषणा की जाए।
जदयू नेत्री ने प्रमुखता से उठाईं चार मांगें
जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष व बुंदेलखंड प्रभारी ने मुख्यमंत्री को डाक के माध्यम से भेजे पत्र में कई समस्याओं पर ध्यान आकर्षित कराया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से चार प्रमुख मांगें की हैं
राजस्व और कृषि विभाग की संयुक्त टीमों से तत्काल सर्वे कराया जाए।
प्रभावित किसानों को राहत राशि और मुआवज़ा दिलाया जाए।
अगली फसल के लिए ब्याजमुक्त ऋण, बीज और खाद की सहायता दी जाए।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जमीनी समीक्षा कर उसका लाभ किसानों तक पहुंचाया जाए।















