बलरामपुर : पर्ची में नहीं था आक्सीजन का जिक्र, नर्सों पर कार्रवाई से भड़का स्वास्थ्यकर्मी संघ

बलरामपुर। बलरामपुर जिला चिकित्सालय में नौ सितंबर को पिंडरा निवासी सनम अगरिया की तीन माह की मासूम बेटी संजना अगरिया की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। मासूम की मौत के बाद स्वजन और ग्रामीणों ने चिकित्सकों व अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था।

मामले की जांच के बाद ड्यूटी पर मौजूद दो स्टाफ नर्स सतीश और नीतू केशरी को निलंबित कर दिया गया। परंतु अब स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि वास्तविक दोष अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों का है, जबकि निर्दोष नसों को निलंबित कर दिया गया है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अनिल पांडेय व संभागीय अध्यक्ष श्यामाकांत तिवारी ने आज रविवार को कहा कि, इस पूरे मामले में दोषी अस्पताल प्रबंधन और ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक हैं, न कि स्टाफ नर्स। उन्होंने संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाओं से मांग की है कि निलंबन को तत्काल निरस्त कर निष्पक्ष जांच के लिए नई टीम गठित की जाए। जांच समिति में बलरामपुर जिले के बाहर के अधिकारियों के साथ एक अनुभवी स्टाफ नर्स को भी शामिल किया जाए।

संघ ने साफ कहा है कि अगर निष्पक्ष जांच कर वास्तविक दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई और निलंबन वापस नहीं लिया गया, तो जिला अस्पताल के कर्मचारी आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। संघ ने चेतावनी दी है कि ऐसी स्थिति में अस्पताल की सेवाएं बाधित होंगी, जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन और उच्च अधिकारियों की होगी। संघ का कहना है कि हम स्वास्थ्यकर्मी पीड़ित मानव के सेवक हैं, अस्पताल का काम रोकना नहीं चाहते। लेकिन निर्दोष कर्मचारियों पर गलत कार्रवाई हमें आंदोलन के लिए विवश करेगी।

शिशु रोग विशेषज्ञ की अनुपस्थिति पर उठे सवाल

बच्ची को अस्पताल लाने के बाद तत्काल आपातकालीन कक्ष में भर्ती कर शिशु रोग विशेषज्ञ को बुलाना चाहिए था। परंतु ड्यूटी चिकित्सक ने स्वजन से कहा कि वे शिशु रोग विशेषज्ञ को बाहर दिखाएं। स्वजन बाहर के चिकित्सक के पास गए और पुनः लौटे। इसके बाद ए एसएनसीयू प्रभारी ने बच्ची को देखा और दवा व ऑक्सीजन देने के बाद रिफर कर दिया। सवाल यह है कि जब स्थिति इतनी गंभीर थी तो शिशु रोग विशेषज्ञ को तत्काल क्यों नहीं बुलाया गया।

एक ही एंबुलेंस में दो मरीज, नियमों की अनदेखी

संघ का कहना है कि जिस एंबुलेंस में बच्ची को रिफर किया गया, उसमें पहले से ही एक और मरीज मौजूद था। नियमों के अनुसार, गंभीर स्थिति वाले शिशु को अलग से आक्सीजन सपोर्ट के साथ भेजा जाना चाहिए था। लेकिन रिफर पर्ची में ऑक्सीजन का उल्लेख नहीं किया गया और न ही आवश्यक व्यवस्था की गई। इसके बावजूद नर्सों को दोषी ठहराना सरासर अन्याय है। एक नर्स ने तो मरीज को देखा तक नहीं था फिर भी उसे निलंबित कर दिया गया।

यह भी पढ़े : NCERT सिलेबस में बदलाव होने पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी, कहा- ‘बंटवारे के लिए कांग्रेस जिम्मेदार…’

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें