
बलरामपुर : अवैध धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार छांगुर उर्फ जलालुद्दीन, नीतू और नवीन के काले कारनामों की परतें जांच में धीरे-धीरे खुल रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय ईडी को छापेमारी के दौरान कई चौंकाने वाले दस्तावेज हाथ लगे हैं।
उतरौला नगर में स्थित छांगुर के शोरूम से ईडी को हबीब बैंक एजी ज्यूरिख के खातों से जुड़े लेनदेन के दस्तावेज मिले हैं। हालांकि, यह बैंक खाता किसके नाम पर और किस देश की शाखा से संबंधित है, इसका उल्लेख ईडी ने शोरूम पर चस्पा नोटिस में नहीं किया है।
हबीब बैंक की 11 देशों में शाखाएं
हबीब बैंक एजी ज्यूरिख की शाखाएं स्विट्ज़रलैंड समेत 11 देशों में हैं। छापेमारी में ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं, जो दर्शाते हैं कि गिरोह के पास जो धन है, वह अपराध से अर्जित आय हो सकती है। यह भी पाया गया है कि इस धन का उपयोग कई व्यक्तियों द्वारा करोड़ों रुपये की अचल संपत्तियां खरीदने और निर्माण गतिविधियों के संचालन के लिए किया गया है।
बीते 17 जुलाई को ईडी ने छांगुर और उसके सहयोगियों के 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इनमें से एक छापा सुभाषनगर स्थित बाबा ताजुद्दीन आश्वी बुटीक शोरूम पर भी मारा गया, जहां से करीब 25 महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए।
कुछ नामों की जानकारी सिर्फ छांगुर और नीतू को
छापेमारी में मिले कुछ दस्तावेज ऐसे हैं जिनमें उल्लिखित नामों की जानकारी केवल छांगुर या उसकी सहयोगी नीतू को ही है। इनमें नासिर वाडीलाल के साथ समझौता पत्र, नासिर वाडीलाल द्वारा छांगुर के पक्ष में दी गई अपरिवर्तनीय पावर ऑफ अटॉर्नी, सफीउल्लाह, समीउल्लाह, प्रदीप बी. तिवारी और राजनारायण आर. सिंह के बीच हुए समझौते, तथा नासिर वाडीलाल से वाहन बिक्री का अनुबंध शामिल हैं।
इसके अलावा, यूनाइटेड मरीन अकाउंट से मेसर्स कृष्णा इंटरनेशनल एफजेडई के खाते में लेनदेन, रास अल खैमाह सरकार की आरएके इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी से संबंधित कागजात, और बलरामपुर में प्रस्तावित मिस आश्वी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ की परीक्षण रिपोर्ट की प्रतिलिपि भी बरामद हुई है। ईडी इन सभी दस्तावेजों की गहन जांच कर रही है।
जांच एजेंसियां गिरोह की जड़ों तक पहुंचने में जुटीं
ईडी और अन्य जांच एजेंसियां छांगुर गिरोह के नेटवर्क की गहराई तक पहुंचने में जुटी हुई हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर ने मनी लॉन्ड्रिंग से बचने के लिए अपने नाम से कोई संपत्ति नहीं ली है। उसने अर्जित संपत्तियां अपने सहयोगियों नवीन रोहरा और नीतू रोहरा के नाम पर खरीदी हैं, ताकि वह अपनी सीधी संलिप्तता छुपा सके।
अस्पताल निर्माण का भी था प्लान
छांगुर की सहयोगी नीतू की कोठी के जिस हिस्से को ढहाया गया है, वहां ‘मिस आश्वी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल’ बनाने की योजना थी। इसकी पुष्टि शोरूम से बरामद दस्तावेजों में संलग्न इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ की परीक्षण रिपोर्ट से होती है।