Bal Gangadhar Tilak Jayanti 2025 : वो नेता जिन्हें जनता ने खुद दिया सम्मान…जो कहलाएं लोकमान्य तिलक…जाने नाम के पीछे की सच्ची कहानी

Bal Gangadhar Tilak Jayanti 2025 : लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती 23 जुलाई को मनाई जाती है। साल 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में जन्मे गंगाधर एक भारतीय राष्ट्रवादी शिक्षक, वकील और स्वतंत्रता सेनानी हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूतों में से एक बाल गंगाधर तिलक का नाम आते ही मन श्रद्धा से झुक जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उनके नाम के आगे ‘लोकमान्य’ क्यों लगाया जाता है?

इस उपाधि के पीछे छिपी है एक पूरी क्रांति की भावना, जनमानस का विश्वास और एक नायक की सच्ची लोकप्रियता। 2025 में उनकी जयंती के अवसर पर आइए जानें कुछ बेहद रोचक बातें, जो तिलक को ‘लोकमान्य’ बनाती हैं।

‘लोकमान्य’ उपाधि कैसे मिली?

‘लोकमान्य’ का अर्थ है, जिसे जनता ने मान्यता दी हो। बाल गंगाधर तिलक को यह उपाधि उनके तेजस्वी विचारों, निर्भीक लेखनी और ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ जन-जागरण के लिए मिली थी। वे पहले ऐसे व्यक्ति थे जिनके लिए जनता ने यह सार्वजनिक रूप से कहना शुरू किया ‘तिलक ही हमारे सच्चे नेता हैं।’

‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का नारा

बाल गंगाधर तिलक ने जब कहा, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।” तो यह नारा पूरे देश में आज़ादी की लहर बन गया। ये शब्द केवल नारा नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का मंत्र बन गए।

गणेशोत्सव और शिवाजी महोत्सव की शुरुआत

तिलक ने अंग्रेजों की सेंसरशिप और एकता को तोड़ने वाली नीति के खिलाफ एक सांस्कृतिक हथियार अपनाया, जो है गणेशोत्सव और शिवाजी महोत्सव की शुरुआत। इन त्योहारों के जरिए उन्होंने लोगों को एक मंच पर लाकर ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ सामाजिक चेतना जगाई।

पत्रकारिता से भी लड़ी आजादी की लड़ाई

तिलक ने मराठी में केसरी अखबार और अंग्रेजी का मराठा अखबार प्रकाशित किया। वह इन दोनों प्रमुख समाचार पत्रों के माध्यम से ब्रिटिश शासन की नीतियों की कड़ी आलोचना करते थे। उनकी लेखनी इतनी प्रभावशाली थी कि अंग्रेज सरकार ने उन्हें कई बार जेल में डाला।

जेल में रहकर भी रचे गीता पर भाष्य

तिलक ने बर्मा की मांडले जेल में रहते हुए ‘गीता रहस्य’ नामक ग्रंथ लिखा, जिसमें कर्मयोग की व्याख्या की गई। यह किताब आज भी युवाओं को कर्तव्य, नैतिकता और संघर्ष का पाठ पढ़ाती है।

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