बहराइच : टीकाकरण की निगरानी को मिली डिजिटल रफ्तार, अब रीयल टाइम में पकड़ेंगे बीमारियों के सुराग

बहराइच l प्रदेश सरकार ने टीकाकरण से रोकी जा सकने वाली बीमारियों की निगरानी को और मज़बूत बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब जनपद समेत पूरे प्रदेश में इन रोगों की रीयल टाइम डिजिटल निगरानी होगी। इसके लिए मई 2023 में शुरू किए गए यूनीफाइड डिजीज सर्विलान्स पोर्टल (यूडीएसपी) का दायरा बढ़ाया गया है l जिसमें अब वैक्सीन से रोकी जा सकने वाली छह और बीमारियों को भी शामिल किया गया है। इस विस्तारित डिजिटल निगरानी व्यवस्था को प्रदेश भर में 1 मई 2025 से औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है।

क्या है यूडीएसपी और क्यों है खास ?

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय शर्मा के अनुसार, यूडीएसपी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विकसित एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जिसकी शुरुआत कोविड-19 के बाद डेंगू, मलेरिया, टाइफॉयड जैसी 12 चिन्हित (अधिसूचित) बीमारियों की निगरानी के लिए की गई थी। अब इस प्लेटफ़ॉर्म में पोलियो, खसरा, रूबेला, डिप्थीरिया, काली खांसी और टिटनेस जैसी छह और बीमारियों को शामिल किया गया है, जिससे इन जानलेवा बीमारियों का जल्दी पता चलेगा और रोकथाम के लिए समय रहते कार्रवाई करना संभव हो सकेगा।

एसीएमओ एवं जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. संतोष राणा ने बताया, “यूडीएसपी जैसे डिजिटल टूल से जिले की निगरानी प्रणाली को नई ताकत मिली है। अब हर केस का डेटा तुरंत अपलोड होगा, जिससे यह जानना आसान होगा कि किस क्षेत्र में बीमारी बढ़ रही है। इससे टीकाकरण योजनाएं बेहतर बनेंगी और जल्दी प्रतिक्रिया संभव होगी।”

इसके अतिरिक्त, यूडीएसपी पोर्टल का एक बड़ा लाभ यह है कि आम नागरिक अपनी जांच रिपोर्ट ऑनलाइन देख सकेंगे, ठीक वैसे ही जैसे कोविड-19 के दौरान उन्हें रिपोर्टें उपलब्ध कराई जाती थीं।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एस.के. सिंह ने बताया, “जनवरी 2025 से अब तक जिले में पोलियो के 65, खसरा-रूबेला के 212, डिप्थीरिया का 1 और काली खांसी के 3 संभावित मामलों की पहचान की गई है। ये सभी लक्षणों के आधार पर संभावित केस थे, जिनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। सभी संभावित मामलों की जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है, जिनमें से दो मामलों में मीजल्स (खसरा) और एक मामले में रूबेला की पुष्टि हुई है। शेष सभी नमूनों की रिपोर्ट निगेटिव पाई गई है।”

अब ऐसे सभी निगरानी केसों को यूडीएसपी पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा, जिससे राज्य स्तर पर इनका रीयल टाइम विश्लेषण संभव होगा। इससे उन क्षेत्रों की तत्काल पहचान की जा सकेगी जहां टीकाकरण कवरेज में कमी है और वहां विशेष टीकाकरण अभियान चलाना आसान हो जाएगा।

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