Bahraich : 40 साल पुराने संजय सेतु पर गंभीर दरारें, यात्रियों की सुरक्षा जोखिम में

Jarwal, Bahraich : बहराइच-बाराबंकी बॉर्डर पर घाघरा नदी के ऊपर बना ऐतिहासिक संजय सेतु पुल एक बार फिर गंभीर दरारों का सामना कर रहा है। पुल के अप्रोच मार्ग पर गड्ढे नुमा दरारें दिखाई दे रही हैं, जो किसी भी वक्त एक बड़े हादसे का कारण बन सकती हैं। यह पुल लखनऊ से बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर और नेपाल को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग है, जिस पर रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं।

1984 में निर्मित इस 40 वर्षों से अधिक पुराने पुल की उम्र पूरी हो चुकी है। लगातार भारी ट्रैफिक, नदी की तेज धाराएं और बाढ़ के कारण पुल के जॉइंट्स में दरारें, कंक्रीट टूटना और सरिया बाहर आना आम होता जा रहा है। इस साल जुलाई और सितंबर महीनों में भी कई स्थानों पर मरम्मत हुई, लेकिन स्थायी समाधान के अभाव में समस्या बढ़ती जा रही है।

एनएचआई के अनुसार 6-लेन नए पुल के लिए टेंडर जारी हो चुके हैं, लेकिन कार्य में देरी के कारण यहां यातायात संबंधी दिक्कतें बनी हुई हैं। भारी वाहनों पर रोक लगाने के बावजूद पुल रोजाना उच्च दबाव झेल रहा है।

स्थानीय निवासी और परिवहन से जुड़े लोग उत्तर प्रदेश सरकार से शिफ्टिंग पुल के निर्माण हेतु तत्काल कदम उठाने की मांग कर रहे हैं, ताकि यातायात बाधित न हो और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उनका कहना है कि पुराने पुल पर मरम्मत का सिलसिला बार-बार चलता है, जो केवल अस्थायी राहत है। प्रशासन को सतत निगरानी करते हुए जल्द से जल्द नया, मजबूत संजय सेतु तैयार करना चाहिए।

प्रशासन ने चेतावनी बोर्ड लगाए हैं, लेकिन अब स्थायी और प्रभावी समाधान की आवश्यकता है। यह संकट न केवल पुल की संरचनात्मक कमजोरी का संकेत है, बल्कि उन लाखों लोगों की जिंदगी पर भी संकट की घंटी है जो इस मार्ग पर रोजाना निर्भर करते हैं।

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