
जरवल, बहराइच। श्रावण मास के पूर्णिमा को बहने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र पहन कर उनसे सुरक्षा का आशीर्वाद भी लेंगी। सुख-दुख में भाइयों के खड़े होने का वचन भी लेंगी, जिसके लिए शहरी क्षेत्र ही नहीं ग्रामीण इलाकों की बाजारों में राखी की दुकानें सज गई हैं। रिमझिम बारिश में दुकाने भी सज गई है।
दुकान पर राखी लेना लेने के लिए शुरू हो गई है। रक्षाबंधन जिसे राखी भी कहा जाता है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का जश्न मनाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है। यह हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। बताते चलें रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम स्नेह और सुरक्षा की भावना वे बताया जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। जो भाई की सलामती और खुशहाली के लिए प्रार्थना का प्रतीक होता है। बदले में भाई अपनी बहन को हर सुख-दुख में उसकी रक्षा करने का वचन भी देता है। भाई अपनी बहन को हर सुख-दुख में उसकी रक्षा करने का वचन देता है। यह त्योहार पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करता है और भाई-बहन के बीच प्यार और सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है।
रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हैं। जैसे कि महाभारत में द्रौपदी द्वारा कृष्ण को और रानी कर्णावती द्वारा हुमायूँ को राखी बांधने की कथाएं। रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच प्रेम सुरक्षा और सम्मान के बंधन का त्योहार है जिसे भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं।
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