बहराइच। उफ ये नई मुसीबत पूस की कड़ाके की ठंड में एक तरफ सरकारें जहां बेसहारा और असहाय लोगों को ठंड से बचाने के लिए रैन बसेरा बनाकर अस्थायी व्यवस्था करती है।वहीं दूसरी तरफ रेलवे प्रशासन द्वारा बेसहारा लोगों को उजाड़ने के लिए जेसीबी मशीन लेकर पहुंच गए ऊपर से बेसहारा लोगों पर दबाव बनाकर गरीबों के हाथों से ही उनका आशियाना उजड़वाने पर मजबूर कर दिया।मजबूर होकर एक किसान नेता ने जब अधिकारियों से बात की तब जाकर रेल प्रशासन अभियान रोककर वापस चला गया।रेलवे के उच्चाधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार भी कर दिया है।
बताते चले 15 साल पहले घाघरा नदी की क्रूर लहरों ने खासेपुर गांव का नामोनिशान मिटा दिया था।अपना सब कुछ गवा बैठे उक्त गांव के ग्रामीणों ने घाघराघाट पुल के पास स्थित रेलवे की भूमि पर झोपड़ी बनाकर गुजर बसर कर रहे थे। पूस मांह की कडाके की ठण्ड में जहां सरकारें रैन बसेरा बनाकर गरीबों,असहाय और बेसहारा लोगों को भीषण ठण्ड में रहने का इंतजाम करती है।वहीं बुधवार को पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन आईडब्लू,आरपीएफ और जरवलरोड थाने की पुलिस लेकर गरीबों की झोपड़ी उजाड़ने पहुंच गए। कटान पीडितों ने भीषण ठंड में अपनी झोपडी उजाड़ने का जब विरोध शुरू कर दिया। हो हल्ला के बाद जब स्थित बिगड़ी तब जा कर अभियान रुक सका। ग्रामीणों का आरोप है कि अफसरों ने धमकाते हुए कहा कि तुम लोग खुद ही अपना कब्जा हटा लो नहीं तो हम जेसीबी लगाकर उलट पलट देंगे।
इस दौरान किसान नेता ओम प्रकाश, रामप्रीति,मोहरवासा,कमलेश,गता,श्यामलाल,तिलकराम ,पिन्टू,लावती,ब्रह्मा,मनकी का घर दबाव बनाकर तोडवा दिया गया। पूर्वोत्तर रेलवे के इस रवैये से कटान पीडितों में आक्रोश व्याप्त है। कटान पीड़ितों ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप कर आवास के लिए जमीन आवंटन की मांग की है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव ओमप्रकाश वर्मा ने मौके पर पहुंचकर रेलवे और तहसील प्रशासन से वार्ता कर कटान पीडितों को जमीन आवंटित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कटान पीडित कहाँ जाएंगे।रेलवे प्रशासन ने दो फरवरी तक अतिक्रमण अभियान को स्थगित करवा दिया।इस सम्बंध में एसडीएम कैसरगंज को फोन किया गया लेकिन फोन नही उठा।
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बोलने से कन्नी काटते रहे रेलवे के सीनियर अफसर
जरवल।पूस की इस भीषण ठण्ड में बेसहारा लोगों की झोपडी हटाने के सवाल पर पूर्वोत्तर रेलवे के सीनियर अफसर से बात की गई लेकिन वह नाम न छापने और कुछ भी बोलने से कतराते भी रहे।