
बहराइच। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव पूर्व जांच मुख्य रूप से “ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण” दिवस पर महीने में एक बार की जाती है। उस दिन जांच न हो पाने पर गर्भवती को पूरा माह इंतजार करना पड़ता है या फिर जिला अस्पताल/सीएचसी जाना पड़ता है। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं, यह सुविधा गाँव के पास ही जनपद के 334 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में प्रत्येक कार्य दिवस में उपलब्ध है। इन आरोग्य मंदिरों में गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, शुगर, यूरिन जैसी जरूरी जांचों की सुविधा के साथ ही आयरन और कैल्शियम की गोलियां भी दी जाती हैं। इससे माँ और बच्चे दोनों के सेहत की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है।
सीएचसी पयागपुर के चैसार स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर की सीएचओ इन्दु मिश्रा बताती हैं कि उनके केंद्र पर हर माह औसतन 20–25 गर्भवती की जांच की जाती है। इनमें कई महिलाएं सिरदर्द, पैरों में सूजन, चक्कर या कमजोरी जैसी दिक्कतों के साथ आती हैं, जिन्हें मौके पर ही उपचार और परामर्श मिल जाता है। जरूरत पड़ने पर उन्हें ई-संजीवनी के माध्यम से ऑनलाइन परामर्श मुहैया कराया जाता है साथ ही उच्च स्तरीय देखभाल के लिए उन्हें प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में विशेषज्ञ चिकित्सकों के पास भेजा जाता है। इसके लिए निःशुल्क एम्बुलेंस सुविधा भी उपलब्ध है।
हाल ही में तेज़ चक्कर और पैरों में सूजन की शिकायत लेकर पहुँचीं चैसार की मीना देवी बताती हैं कि केंद्र पर सामान्य जाँच के बाद उन्हें विशेषज्ञ चिकित्सक के पास भेजा गया और वहीं उनका निःशुल्क अल्ट्रासाउंड भी कराया गया। समय रहते इलाज मिलने से आज मैं और मेरा बच्चा सुरक्षित हैं।
ऐसी हज़ारों उदाहरण हैं जो जिले में मातृत्व सेहत की तस्वीर बदल रहें हैं। सरकारी आँकड़े बताते हैं कि सिर्फ़ इसी वित्तीय वर्ष में ज़िले की 53,000 से ज़्यादा गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण हो चुका है जो कुल लक्ष्य का 87.9 प्रतिशत है और 41,000 से अधिक गर्भवती को प्रसव पूर्व जाँच व आवश्यक दवाएँ भी मिल चुकी हैं। इनमें से 16,495 गर्भवती ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का लाभ उठाया है और 10,478 का निःशुल्क अल्ट्रासाउंड ई-बाउचर के ज़रिए कराया गया है।
सीएमओ डॉ. संजय शर्मा ने बताया कि आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर नियमित जांच और बेहतर देखभाल से माँ और बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ, इलाज, दवा, उपकरण, साफ-सफाई और सम्मानजनक व्यवहार जैसे मानकों में सुधार किया गया है। इसी का परिणाम है कि जिले के 36 उपकेंद्र स्तरीय आरोग्य मंदिर राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक से प्रमाणित हैं और 65 केंद्रों की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही हर गाँव के नजदीक मातृत्व स्वास्थ्य की गुणवत्तापूर्ण सेवाएं आसानी से उपलब्ध होंगी।
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