
Bahraich : जरवल विकासखंड के गंडारा ग्राम सभा में मनरेगा योजना के तहत फर्जी अभिलेख प्रस्तुत कर तीन लाख से अधिक रुपये का भुगतान करा लिया गया। लोकपाल और तकनीकी टीम की जांच में दो सड़कों पर कार्य मौके पर कम पाया गया।
ग्राम पंचायत गंडारा के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायत गांव निवासी रामसेवक यादव ने लोकपाल से की थी। लोकपाल और तकनीकी टीम की जांच में गोलीराम के घर से सईद के घर तक निर्मित इंटरलॉकिंग कार्य 183.28 वर्ग मीटर में पाया गया, जबकि इसके सापेक्ष 1,83,150.07 रुपये के बजाय 3,46,109.68 रुपये का भुगतान करा लिया गया। इसी प्रकार तैय्यब के मकान से जमील के मकान के आगे तक निर्मित इंटरलॉकिंग कार्य 83 वर्ग मीटर में पाया गया, जिसका भुगतान 1,13,450 रुपये के बजाय 2,92,276.13 रुपये कर दिया गया।
लोकपाल ने स्थलीय निरीक्षण, तकनीकी बिंदुओं का गहन अवलोकन और मनरेगा साइट पर उपलब्ध रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद पाया कि ग्राम पंचायत द्वारा कराए गए दोनों कार्यों में वित्तीय अनियमितता की गई है। ग्राम पंचायत न तो कोई अभिलेख प्रस्तुत कर सकी और न ही अपना पक्ष रखा। ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायत में कार्यरत मनरेगा अधिकारियों ने कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर भारी मात्रा में सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। इसके खिलाफ धन की वसूली के साथ-साथ विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई भी अपेक्षित है।
मनरेगा लोकपाल उमेश तिवारी ने बताया कि ग्राम प्रधान, तत्कालीन सचिव और तत्कालीन तकनीकी सहायक (अवर अभियंता) द्वारा मनरेगा योजना में फर्जी अभिलेख प्रस्तुत कर 3,41,785.74 रुपये का भुगतान कराया गया है। वसूली और विभागीय कार्रवाई के लिए पत्र जारी कर दिया गया है।
दूसरी ओर गांव के प्रधान प्रतिनिधि हसनैन का कहना है कि उक्त प्रकरण की जांच डीएम स्तर से पहले भी हो चुकी है।
उक्त प्रकरण की फाइल कई बार मांगी गई लेकिन उपलब्ध नहीं कराई गई। जबकि विकासखंड कार्यालय में फाइल होनी चाहिए। जांच में सरकारी धन का गमन हुआ है जिसकी रिकवरी भी हो चुकी है।
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