Bahraich: मोबाईल कोर्ट में दिव्यांगजनों के 22 प्रकरणों की हुई सुनवाई

Bahraich: जनपद के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत दिव्यांगजनों की समस्याओं का निस्तारण कराएं जाने के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट के जनता दर्शन हाल में आयोजित मोबाईल कोर्ट में दिव्यांगजनों की समस्याओं की सुनवाई करते हुए सम्बन्धित अधिकारियों समयबद्ध निस्तारण के निर्देश दिये गये। मोबाईल कोर्ट में अधिकतर प्रकरण श्रवण बधिर दिव्यांगता प्रमाण-पत्र को लेकर सामने आये।

सुनवाई के दौरान पाया गया कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए ओ.पी.डी. अथवा अन्य माध्यमों से आने वाले दिव्यांगजनों को के.जी.एम.यू. लखनऊ को संदर्भित किया जा रहा है जहां पर पूरे प्रदेश से आने वाले प्रकरणों की बहुलता के कारण दिव्यांगजनों को वर्षों अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है जबकि मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होने वाले प्रकरणों को जनपद श्रावस्ती के लिए रेफर किया जा रहा है।
इस स्थिति का कड़ा संज्ञान लेते हुए राज्य आयुक्त व उपायुक्त द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिया गया कि दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करने से सम्बन्धित प्रकरणों को 01 सप्ताह में निस्तारित कराया जाय।

मोबाईल कोर्ट की मंशानुरूप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संजय कुमार ने तत्काल मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती से मोबाईल पर वार्ता कर दिव्यांगता जांच के लिए तिथि निर्धारित करने का अनुरोध किया। सीएमओ श्रावस्ती द्वारा जांच के लिए 20 जून 2025 की तिथि निर्धारित करने पर निर्णय लिया गया कि 20 जून 2025 को सीएमओ कार्यालय, बहराइच से एक वाहन श्रवण बधिर दिव्यांगजनों को श्रावस्ती ले जाकर उनका परीक्षण कराते हुए दिव्यांगता प्रमाण-पत्र हेतु कार्यवाही तत्काल की जायेगी।

राज्य आयुक्त, दिव्यांगजन, उत्तर प्रदेश प्रोफेसर हिमांशु शेखर झा ने कहा कि मोबाईल कोर्ट के आयोजन का मुख्य उद्देश्य यही है कि दिव्यांगजनों से सीधे संवाद कर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर समयबद्ध ढंग से उनका गुणवत्तापूर्ण निस्तारण कराया जाय। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि दिव्यांगजनों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होकर त्वरित निस्तारण करायें। राज्य आयुक्त ने कहा कि जन समस्याओं का समयबद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण निस्तारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी शीर्ष प्राथमिकता है।

मेडिकल बोर्ड पर चर्चा करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिया गया कि सदस्यों की संख्या को बढाया जाय तथा लम्बी अवधि से बोर्ड में कार्यरत चिकित्सकों के स्थान पर दूसरे चिकित्सकों को शामिल कर कृत कार्यवाही से अवगत भी कराएं। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि किसी भी स्तर पर फर्ज़ी प्रमाण-पत्र न निर्गत हों तथा जारी किये गये प्रमाण-पत्रों का दुरूपयोग न होने पाये।
उपायुक्त शैलेन्द्र कुमार सोनकर ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, 13 दिसम्बर, 2006 को दिव्यांगजनों के अधिकारों पर उसके अभिसमय को अंगीकृत किया था।

अंतर्निहित गरिमा, वैयक्तिक स्वायत्तता के लिए आदर, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति की स्वयं की पसंद की स्वतंत्रता और व्यक्तियों की स्वतंत्रता भी है। अविभेद; समाज में पूर्ण और प्रभावी भागीदारी और सम्मिलित होना; मानवीय भेदभाव और मानवता के भाग के रूप में दिव्यांगजनों की भिन्नता के लिए आदर और उनका ग्रहणः, अवसर की समानता, पहुंच, पुरुषों और स्त्रियों के बीच समता, दिव्यांग बालकों की बढ़ती हुई क्षमता के लिए आदर और दिव्यांग बालकों की पहचान परिरक्षित करने के उनके अधिकार के लिए आदर भी सम्मिलित है। उन्होंने बताया कि नये एक्ट में 21 प्रकार की दिव्यांगता सम्मिलित है। दिव्यांगजन को दिव्यांगतासूचक शब्दों से सम्बोधित नहीं किया जा सकता है। इसके लिए एफ.आई.आर. दर्ज की जा सकती है।

मोबाईल कोर्ट के दौरान कुल 22 प्रकरणों की सुनवाई की गई। जिसमें 12 प्रकरण दिव्यांगता प्रमाण-पत्र, 05 प्रकरण पेंशन, 03 प्रकरण भूमि विवाद तथा 01-01 प्रकरण दिव्यांग बच्चों के स्कूल खोले जाने तथा लोक निर्माण विभाग में स्थानान्तरण से सम्बन्धित था। पेंशन से सम्बन्धित प्रकरणों के सम्बन्ध में दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी को निर्देश दिया गया कि विभागीय अधिकारियों से समन्वय कर निस्तारण सुनिश्वित कराएं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया कि राईट टू एजूकेशन के तहत समस्त दिव्यांग बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए नियमानुसार कार्यवाही की जाय।

इस अवसर पर सिटी मजिस्ट्रेट राजेश प्रसाद, जिला विकास अधिकारी राज कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आशीष कुमार सिंह, अधिशासी अभियंता विद्युत शैलेन्द्र कुमार, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग प्रदीप कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी श्रद्धा पाण्डेय, जिला पंचायत राज अधिकारी सर्वेश कुमार पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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