बहराइच : एनक्वास ने बढ़ाया भरोसा, गांव में बदली इलाज की परिभाषा

  • पंचायत और सरकारी तंत्र की सहभागिता से नीतियों को मिल रहा आकार
  • दो और स्वास्थ्य इकाइयां हुईं एनक्वास प्रमाणित

बहराइच l पहले जब कोई बीमार पड़ता, तो गांव के लोग कहते – यहाँ इलाज नहीं होगा, शहर चलो। लेकिन अब यह सोच बदल गई। ‘राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) नीति’ के चलते अब उच्च मानकों के अनुरूप इलाज गाँव के पास है। इस नीति को ज़मीन पर उतारने में पंचायत और स्वास्थ्य विभाग की सक्रिय सहभागिता रही। नतीजा – आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में इलाज, सुविधा और सम्मान तीनों एक साथ अब गाँव के दरवाज़े पर मिलने लगे।

हाल ही में जनपद के दो और आयुष्मान आरोग्य मंदिर—बंगला चक (रिसिया) और भगवानपुर (महसी), केंद्रीय टीम द्वारा एनक्वास प्रमाणन के लिए उपयुक्त पाए गए। डिस्ट्रिक्ट कंसल्टेंट क्वालिटी एश्योरेंस, डॉ. शैलेन्द्र तिवारी बताते हैं – एनक्वास प्रमाणन एक राष्ट्रीय मानक है, जो स्वास्थ्य केंद्रों को तभी मिलता है जब वे इलाज, दवाएं, सफाई, उपकरण, प्रशिक्षित स्टाफ और मरीजों के सम्मान जैसी जरूरी बातों में पूरी तरह खरे उतरते हैं।

महिलाओं और बुज़ुर्गों को सबसे ज़्यादा राहत-

स्वास्थ्य सेवाएं नज़दीक होने से ज़्यादा फायदा महिलाओं और बुज़ुर्गों को हुआ, जो पहले दूरी और खर्च के कारण इलाज टाल देते थे। कटघरी की 75 वर्षीय देवेंता देवी उच्च रक्तचाप से परेशान थीं, लेकिन दूरी के कारण अस्पताल नहीं गईं। आशा कार्यकर्ता जावित्री यादव ने उन्हें समझाया और गाँव के आरोग्य मंदिर ले गईं। देवेंता कहती हैं – सीएचओ प्राची ने उन्हें ध्यान से देखा, जांच कर दवा दी और आराम मिल गया। अब मैं जांच के लिए खुद चली जाती हूँ।

पंचायतों ने भी निभाई ज़िम्मेदारी-

आरोग्य मंदिरों को मानक अनुरूप बेहतर बनाना शुरू हुआ, तो पंचायतों ने दिल से साथ दिया। हाल ही में एनक्वास प्रमाणित रिसिया के बंगलाचक की ग्राम प्रधान उमा देवी बताती हैं – हमने केंद्र की खुद सफाई करवाई, दीवारें पुतवाईं और लोगों को बताया कि अब यहां बेहतर इलाज मिलेगा – सम्मान और सुविधा के साथ।

भरोसे का केंद्र बने आरोग्य मंदिर-

जिले के 15 एनक्वास प्रमाणित आरोग्य मंदिरों में अब 12 तरह की पैथोलॉजी, 62 आवश्यक दवाएं और सामान्य आपातकाल सेवाओं सहित आँख, नाक, कान, गला, बर्न, मानसिक स्वास्थ्य, बुजुर्गों की देखभाल जैसी प्रमुख सेवाएं गाँव के पास ही मिल रही हैं। कोटवा की सीएचओ ज्योति कहती हैं, “एनक्वास नीति ने हमें एक साफ दिशा दी। अब लोग समय पर इलाज के लिए आ रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।” वह हर महीने औसतन 450 मरीजों को सेवाएं दे रही हैं।

एनक्वास प्रमाणन से दिखता है बदलाव –

इन केंद्रों में अब सिर्फ दवा नहीं, बल्कि साफ-सफाई, संक्रमण से बचाव, त्वरित इलाज और मरीजों के साथ सम्मानजनक व्यवहार भी मिल रहा है। सीएमओ डॉ. संजय शर्मा कहते हैं –ये आरोग्य मंदिर अब इलाज के साथ आत्मविश्वास और गरिमा का प्रतीक बन चुके हैं।

जिलाधिकारी मोनिका रानी का कहना है –एनक्वास प्रमाणन ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव की दिशा में एक अहम कदम है। हमारा लक्ष्य है कि जिले के हर स्वास्थ्य केंद्र को एनक्वास मानकों पर खरा उतारा जाए।

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