बहराइच : नेपालगंज रोड रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘रुपईडीहा रेलवे स्टेशन’ किए जाने की मांग तेज

  • नगर पंचायत अध्यक्ष ने रेल मंत्री को भेजा प्रस्ताव, स्थानीय पहचान को सशक्त करने की पहल

रुपईडीहा, बहराइच। भारत नेपाल सीमा पर स्थित रुपईडीहा नगर की भौगोलिक, प्रशासनिक और आर्थिक महत्ता को देखते हुए यहां स्थित ‘नेपालगंज रोड रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रुपईडीहा रेलवे स्टेशन किए जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।

इस संबंध में नगर पंचायत अध्यक्ष डॉ. उमा शंकर वैश्य ने भारत सरकार के रेल मंत्री को एक औपचारिक प्रस्ताव पत्र प्रेषित किया है। पत्र में अध्यक्ष ने स्पष्ट किया है कि नेपालगंज रोड नाम ब्रिटिश शासनकाल में दिया गया था, जो वर्तमान सामाजिक और प्रशासनिक पहचान से मेल नहीं खाता। आज यह क्षेत्र न केवल एक प्रमुख सीमा नगर है, बल्कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद की एक महत्वपूर्ण व्यापारिक, सुरक्षा और ट्रांजिट केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका है।

रुपईडीहा नगर पंचायत की आधिकारिक स्थापना के बाद यहां जनसंख्या, यातायात, व्यापार और प्रशासनिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश शासन, भारत नेपाल सीमा शुल्क विभाग, एसएसबी, एकीकृत जांच चौकी आईसीपी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों द्वारा भी इस क्षेत्र को रुपईडीहा नाम से ही मान्यता दी गई है। यही नहीं, नेपाल के नेपालगंज से लेकर दिल्ली, लखनऊ, गोरखपुर जैसे प्रमुख भारतीय महानगरों में भी यह स्थान रुपईडीहा के नाम से ही जाना पहचाना जाता है।

डॉ. वैश्य ने बताया कि स्टेशन का नाम नेपालगंज रोड होने के कारण कई यात्रियों को टिकट बुकिंग में भ्रम और असुविधा का सामना करना पड़ता है। यात्री जब रुपईडीहा के नाम से टिकट खोजते हैं तो स्टेशन सूची में नाम न मिलने से उन्हें विकल्पों की ओर रुख करना पड़ता है। इससे न केवल असुविधा होती है, बल्कि क्षेत्र की वास्तविक पहचान भी धुंधली पड़ती है। उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री से अनुरोध किया है कि जनभावनाओं, प्रशासनिक यथार्थ और यात्री सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए तत्काल प्रभाव से नेपालगंज रोड रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तित कर रुपईडीहा रेलवे स्टेशन किया जाए।

उक्त प्रस्ताव की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, सांसद बहराइच, मंडल रेल प्रबंधक लखनऊ मंडल सहित संबंधित उच्चाधिकारियों को भी आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजी गई है। स्थानीय समाजसेवियों, व्यापारिक संगठनों ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा है कि यह नाम परिवर्तन केवल एक प्रतीकात्मक परिवर्तन नहीं, बल्कि स्थानीय अस्मिता और प्रशासनिक सटीकता को सम्मान देने का कदम होगा।

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