
- जरवल में आय के स्रोत की अनदेखी,कब होगा विकास ?
- सीमा विस्तार हो जाए तो सरकार खोल देगी अपना खजाना
- निकाय हुई कंगाल कब सोचेंगे जिम्मेदार ?
Jarwal, Bahraich : वर्ष 1975 से नगर पंचायत जरवल में सीमा विस्तार नहीं हुआ। इस कारण से नगर का विकास पर ग्रहण लग चुका है सरकारी खजाने का मुंह खोल सके। सूत्रों की माने तो विकास के लिए यहां सरकार ने काफी दान दिया पर उसके दुरुपयोग के कारण विकास पर ग्रहण लग गया। जिससे निकाय के 13 वार्ड में सड़क आज भी उबड़-खाबड़ दिखाई दे रही है। फिर भी विकास की यह इबारत ही गढ़ी जा रही हैं। सूत्रों का कहना है कि काफी दिनों से सभासदो से सब और निकाय प्रशासन के बीच ताल-मेल नहीं बैठ रहा है। जिस कारण न तो बोर्ड की बैठक हो पा रही है न ही कोई प्रस्ताव ही होता है। फिर भी इस निकाय के जिम्मेदार अपनी मनमानी करने पर ही उतारू है।
जिससे विकास का पहिया भी थम चुका है। सूत्रों की माने तो यहां सरकारी धन से जो भी विकास कार्य हुआ सही न होने की वजह से लोगों ने गुणवत्ता पर सवाल भी उठाए जांच तो हुई लेकिन यहां के जिम्मेदारों ने उसे भी रौंद डाला और यहां के जिम्मेदारों ने जांच अधिकारी से ले-दे कर मामले को रफ़ा-दफा कर दिया। जिससे विकास का पहिया तो थमा ही सीमा विस्तार भी नहीं हो पाया वरना यह निकाय नगर पालिका का दर्जा प्राप्त हो जाती। सूत्रों की माने तो यह निकाय अपने आय का भी स्रोत भी नहीं बन पा रही है। जिस कारण यहां विकास का होना एक टेढी खीर से काम नहीं है।
सीमा विस्तार के लिए जरूरी टिप्स
जरवल। निकाय का सीमा विस्तार एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी शहरी निकाय (जैसे नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद या नगर निगम) की प्रशासनिक सीमाओं को बढ़ाया जाता है। जिसमें आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों या गांवों को शामिल किया जाता है। यह एक योजनाबद्ध प्रक्रिया है जिसके तहत नए वार्डों का गठन किया जाता है। और इसका उद्देश्य शहरी विकास और सेवाओं का विस्तार होता है।