
पश्चिम बंगाल में आज के दिन एक नई राजनीतिक घमासान की शुरुआत हो गई है। हुमायूं ने ‘बाबरी मस्जिद’ बनाने का जो खाका तैयार किया था, वह नींव बनने से पहले ही ढह गया है। ममता बनर्जी के विधायक हुमायूं कबीर मुर्शिदाबाद में सड़क के किनारे बाबरी मस्जिद बनाने का ऐलान कर चुके थे। कुछ घंटे पहले जमीन का निरीक्षण मीडिया को दिखाया गया, जिसमें सबसे पहले चारदीवारी तैयार करने और नींव की खुदाई की योजना थी।
लेकिन अचानक ही मामला उल्टा पड़ गया। जमीन के मालिक किसान वहां पहुंच गए और उन्होंने जमीन देने से इनकार कर दिया है। भाजपा ने इस घटनाक्रम पर तंज कसते हुए कहा है कि हुमायूं हद पार कर गए हैं, और अब बांग्लादेश की नींव रखी जा रही है। एक दिन पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने भी मुशिर्दाबाद का दौरा किया था। बाबरी मस्जिद को लेकर पोस्टर लगने के बाद से ही दिल्ली से कोलकाता तक सियासी माहौल गरम हो गया है।
टीएमसी के प्रवक्ता ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि हुमायूं उनके संपर्क में नहीं हैं और उनका बयान टीएमसी का पक्ष नहीं है। वहीं, बाबरी मस्जिद को लेकर नई फसाद पैदा करने की कोशिशें जारी हैं, और दूसरी ओर से वहां मंदिर बनाने का भी जिक्र कर दिया गया है।
खास बात यह है कि कल (25 नवंबर) तक टीएमसी नेता हुमायूं कबीर 7 बीघे जमीन की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि 6 दिसंबर को ही मुर्शिदाबाद के बेलडांगा इलाके में मस्जिद बनाने की शुरुआत की जाएगी। लेकिन आज सुबह, ज़ी न्यूज के कैमरे पर किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि वे जमीन नहीं देंगे।
सुबह 9 बजे के करीब जमीन के मालिक मौके पर पहुंचे। उन्होंने सीधे बात की और कहा कि वहां अस्पताल और मस्जिद बनाने की बात हो रही है, लेकिन उनके पास ऐसी कोई जमीन नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके पास कोई इंच जमीन नहीं है और न ही उन्होंने इसे बेचने या किसी रूप में दी है।
जमीन के मालिकों ने टूटे हुए बाउंड्रीवॉल को कवर कराना शुरू कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि उनके पास जमीन है तो वे ही उसकी रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने न तो जमीन बेची है, न ही एक रुपया लिया है। इस तरह, जमीन के मालिक अपने अधिकारों पर अडिग हैं और उनके मुताबिक, वे अपनी जमीन को किसी भी हालत में नहीं देंगे।
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