
अमेरिका और ईरान के बीच पहले से ही जारी तनाव अब और बढ़ता नजर आ रहा है. एक ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार ईरान को चेतावनी देते दिख रहे हैं तो दूसरी ओर ईरान भी झुकने को तैयार नहीं नजर आ रहा. अमेरिका ने कुछ दिन पहले ही ईरान पर दबाव बनाने के उद्देश्य से हिंद महासागर डिएगो गार्सिया द्वीप पर दुनिया के सबसे खतरनाक और एडवांस B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर को तैनात किया था. डिएगो गार्सिया एक ब्रिटिश नियंत्रित द्वीप है, जिसे अमेरिका मध्य पूर्व में सैन्य अभियानों के लिए इस्तेमाल करता है. यह स्थान ईरान की मिसाइलों की पहुंच से बाहर है, जिससे यह सुरक्षित हवाई ठिकाने के रूप में काम करता है.
दूसरी ओर ट्रंप ने परमाणु समझौते को लेकर ईरान को धमकी दी है कि अगर वह समझौते में शामिल नहीं होता है तो उस पर बमबारी की जाएगी. इसके जवाब में ईरान ने भी कहा है कि उसने भी अमेरिका के खिलाफ रेडी टू लॉन्च मोड में मिसाइलें तैनात कर दी हैं. इस तरह दोनों देशों के बीच तनाव नए स्तर पर जाता दिख रहा है.
इस बीच एक हथियार जो फिर चर्चा में आ गया है वो है B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर.
दुनिया का सबसे घातक और अदृश्य लड़ाकू विमान
B-2 स्पिरिट स्टेल्थ बॉम्बर को दुनिया का सबसे घातक और उन्नत Strategic Bomber माना जाता है. यह अमेरकी वायु सेना का एक ऐसा युद्धक विमान है, जिसे रडार की पकड़ से बचने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है. इसकी उन्नत स्टेल्थ तकनीक, लंबी रेंज, और भारी हथियार ले जाने की क्षमता इसे अभूतपूर्व बनाती है.
B-2 बॉम्बर का इतिहास
B-2 बॉम्बर को नॉर्थरोप ग्रुम्मन (Northrop Grumman) कंपनी ने विकसित किया था. इसे अमेरिकी वायु सेना के एडवांस्ड टेक्नोलॉजी बॉम्बर (ATB) प्रोग्राम के तहत 1980 के दशक में डिजाइन किया गया था. 1970 के दशक में शीत युद्ध (Cold War) के दौरान, अमेरिका ने सोवियत संघ के खिलाफ एक ऐसा बॉम्बर विकसित करने का फैसला किया, जो दुश्मन के रडार सिस्टम को चकमा दे सके. 1981 में नॉर्थरोप ग्रुम्मन को इसका कॉन्ट्रैक्ट दिया गया और इसके बाद 1989 में पहली बार B-2 बॉम्बर ने उड़ान भरी. इसे 1997 में आधिकारिक रूप से अमेरिकी वायु सेना में शामिल किया गया. B-2 बॉम्बर की कुल 21 यूनिट्स बनाई गईं, लेकिन 2008 में एक क्रैश के कारण अब सिर्फ 20 विमान ही सक्रिय हैं.
डिज़ाइन और स्टेल्थ तकनीक
B-2 स्पिरिट की सबसे अनोखी विशेषता इसका फ्लाइंग विंग डिज़ाइन (Flying Wing Design) है. इसमें कोई पारंपरिक टेल या फ्यूसेलाज (Fuselage) नहीं होता, जिससे इसका रडार क्रॉस-सेक्शन (Radar Cross-Section) बेहद कम हो जाता है.
लगभग इनविजिबल है ये विमान
- लो ऑब्जर्वेबल टेक्नोलॉजी – इसका डिजाइन और मटेरियल इसे रडार की पकड़ में आने से बचाते हैं.
- Radar Absorbent Material – इसका बाहरी कोटिंग रेडियो वेव्स को सोख लेता है.
- छिपे हुए इंजन- इसके जनरल इलेक्ट्रिक F118-GE-100 टर्बोफैन इंजन विमान के अंदर छिपे होते हैं, जिससे इंफ्रारेड डिटेक्शन मुश्किल हो जाता है.
- कम हीट सिग्नेचर – यह इंजन की गर्मी को भी कम कर सकता है, जिससे थर्मल स्कैनर से बचा जा सकता है.
B-2 बॉम्बर का सबसे बड़ा फायदा इसकी भारी मात्रा में हथियार ले जाने की क्षमता है. यह परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार के हथियार ले जा सकता है. इनमें ले जाए जा सकने वाले हथियारों की लिस्ट कुछ इस तरह है…
परमाणु बम
- B61 और B83 न्यूक्लियर बम
- LRSO (Long Range Stand-Off) मिसाइल
पारंपरिक बम
- GPS-गाइडेड GBU-31 JDAM बम
- 500 पाउंड के GBU-38 JDAM बम
- Bunker Buster GBU-57 (20,000 पाउंड)
मिसाइलें
- AGM-158 JASSM स्टील्थ क्रूज़ मिसाइल
- AGM-154 JSOW
- B-2 बॉम्बर एक साथ 80 पारंपरिक बम या 16 न्यूक्लियर बम गिराने में सक्षम है
B-2 बॉम्बर के प्रमुख मिशन
B-2 बॉम्बर को अमेरिकी वायु सेना के सबसे गोपनीय और खतरनाक अभियानों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. पहली बार B-2 बॉम्बर को 1999 में कोसोवो युद्ध के दौरान ऑपरेशन एलाइड फोर्स के तहत इस्तेमाल किया गया था जिसमें इसकी मदद से 78 दिनों तक लगातार बमबारी की थी. उसके बाद सा5 2001 में ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम के तहत अफगानिस्तान युद्ध में इसने 44 घंटे की बिना रुके उड़ान भरकर तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाया. 2003 में इराक युद्ध में सद्दाम हुसैन की सेना के खिलाफ भी इसका इस्तेमाल किया गया और इस मिशन का नाम था ऑपरेशन इराकी फ्रीडम. वहीं साल 2017 में लीबिया में ISIS के खिलाफ ऑपरेशन में भी इसका उपयोग किया गया था.
B-2 बॉम्बर की लागत और मेंटेनेंस
B-2 दुनिया के सबसे महंगे लड़ाकू विमानों में से एक है. एक B-2 बॉम्बर की लागत करीब $2.1 बिलियन (17,500 करोड़ रुपये) आती है जबकि इसकी हर घंटे की उड़ान पर $135,000 (1.1 करोड़ रुपये) का खर्च आता है. मेंटेनेंस की बात करें तो हर उड़ान के 1 घंटे के लिए 50 घंटे मेंटेनेंस की जरूरत होती है.
भविष्य में B-2 की जगह कौन लेगा?
हालांकि B-2 बॉम्बर अभी भी सेवा में है, लेकिन इसे अगले कुछ दशकों में B-21 रेडर (B-21 Raider) से बदलने की योजना है. B-21 रेडर, B-2 की तुलना में सस्ता, हल्का और अधिक स्टेल्थ होगा. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोनोमस टेक्नोलॉजी से लैस होगा. B-21 रेडर के 2030 तक सेवा में आने की उम्मीद है.