दो PAN कार्ड केस में आज़म खान और अब्दुल्ला आज़म दोषी, अदालत ने सुनाई 7-7 साल की सजा

Rampur : उत्तर प्रदेश की रामपुर कोर्ट ने सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खां और उनके बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को दो PAN कार्ड मामले में दोषी करार देते हुए कस्टडी में ले लिया। विशेष MP/MLA कोर्ट की इस सजा ने सियासी हलचल मचा दी है, जहां आजम परिवार पर पहले से 50 से अधिक मुकदमे चल रहे हैं। वादी और BJP विधायक आकाश सक्सेना भी सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहे, जिन्होंने 2019 में यह FIR दर्ज कराई थी। कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, और बाहर BJP व सपा कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ के बीच हल्की झड़पें भी हुईं। सपा ने फैसले को “राजनीतिक साजिश” करार दिया, जबकि BJP ने इसे “कानून का राज” बताया। आइए, विस्तार से जानते हैं इस मामले की पृष्ठभूमि, फैसले के प्रभाव और सियासी प्रतिक्रियाओं को।

मामले की पृष्ठभूमि: 2019 में आकाश सक्सेना की शिकायत, दो PAN कार्डों से चुनावी धांधली का आरोप
यह मामला 2019 के लोकसभा चुनावों से जुड़ा है, जब BJP विधायक आकाश सक्सेना ने सपा के खिलाफ मोर्चा खोला। सक्सेना ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला आजम ने दो अलग-अलग जन्म तिथियों (30 सितंबर 1990 और 1 जनवरी 1993) के आधार पर दो PAN कार्ड बनवाए, ताकि वे रामपुर सदर सीट से चुनाव लड़ सकें। एक PAN को चुनावी हलफनामे में दिखाया गया, जबकि दूसरे का इस्तेमाल ITR में किया गया।

सक्सेना का दावा: आजम खां ने अपने बेटे को चुनावी पात्रता 25 वर्ष की आयु पूरी करने के लिए यह धोखाधड़ी रची।
FIR सिविल लाइंस थाने में IPC की धाराओं 120B आपराधिक साजिश, 420 धोखाधड़ी, 467 मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी, 468 धोखाधड़ी के लिए जालसाजी और 471 जाली दस्तावेज का उपयोग के तहत दर्ज हुई। रामपुर MP/MLA कोर्ट में ट्रायल चला, जहां सक्सेना ने दस्तावेज पेश किए। बचाव पक्ष ने कहा कि PAN कार्डों में त्रुटि थी, लेकिन साजिश नहीं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जुलाई 2025 में ट्रायल जारी रखने का आदेश दिया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में ट्रायल पर स्टे लगाया था, जो बाद में हटा। सोमवार को MP/MLA जज ने सबूतों के आधार पर दोनों को दोषी ठहराया। सजा की मात्रा जुर्माना या जेल अगली सुनवाई 25 नवंबर में तय होगी।

आजम परिवार का लंबा कानूनी संघर्ष: 50+ केस, जेल और बरी होने का इतिहास
आजम खां 73 वर्ष सपा के मुस्लिम वोट बैंक के प्रमुख चेहरे पर 2019 से BJP सरकार ने कई मुकदमे ठोक दिए हैं। वे रामपुर से 8 बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन 2019 लोकसभा हार के बाद जेल की हवा खा चुके हैं।

प्रमुख केस:

फर्जी जन्म प्रमाण पत्र: आजम, तंजीन फातमा और अब्दुल्ला को 7 वर्ष की सजा (2023), अपील लंबित।
फर्जी पासपोर्ट: अब्दुल्ला पर गलत जन्मतिथि से पासपोर्ट बनाने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2025 में FIR क्वाश करने की याचिका खारिज की।
2019 भड़काऊ भाषण: आजम को 11 नवंबर 2025 को बरी कर दिया गया, जो सजा के खिलाफ अपील का नतीजा था।
अन्य: रामपुर में दंगों, जमीन हड़पने और हेट स्पीच के 50+ केस। आजम जेल से ही सपा के लिए प्रचार करते रहे। अब्दुल्ला 31 वर्ष 2017 में रामपुर से विधायक चुने गए पर भी कई मुकदमे हैं। परिवार का दावा: BJP की “सियासी साजिश”।

कोर्ट परिसर में तनाव: BJP-सपा कार्यकर्ताओं की भिड़ंत, भारी सुरक्षा तैनात
सुनवाई के दौरान रामपुर कोर्ट परिसर में हाई अलर्ट रहा। SSP ने 200 पुलिसकर्मी तैनात किए, DRG और PAC फोर्स स्टैंडबाय पर। BJP कार्यकर्ता सक्सेना के नेतृत्व में नारे लगाते रहे: कानून का राज आएगा। सपा समर्थक आजम जिंदाबाद” के साथ भिड़ गए, जिसमें हल्की धक्कामुक्की हुई। सपा ने कहा, शांतिपूर्ण विरोध। सक्सेना ने फैसले के बाद कहा, न्याय मिला, अब्दुल्ला की चुनावी साजिश उजागर हुई। आजम खां को सीतापुर जेल से लाया गया, जबकि अब्दुल्ला को कोर्ट से ही कस्टडी में लिया गया।

सियासी प्रतिक्रियाएं: सपा का ‘साजिश’ आरोप, BJP का ‘न्याय की जीत’
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, “BJP की बदले की राजनीति का शिकार आजम परिवार। न्याय मिलेगा।” राम गोपाल यादव ने कहा, “यह मुस्लिम दमन का हिस्सा है।” BJP प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा, “कानून सबके लिए बराबर। आजम की साजिशें बेनकाब हुईं।” विपक्ष ने SC में अपील की चेतावनी दी। रामपुर मुस्लिम बहुल सीट 2024 उपचुनाव में BJP ने जीता था, जो आजम की हार का नतीजा था।

संभावित प्रभाव: सपा का मुस्लिम वोट बैंक हिलेगा?
यह फैसला सपा के लिए झटका है, खासकर 2027 विधानसभा चुनावों से पहले। आजम खां का प्रभाव पूर्वांचल में मजबूत है। विशेषज्ञों का मानना: अपील में राहत मिल सकती है, लेकिन कस्टडी से प्रचार प्रभावित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पासपोर्ट केस में याचिका खारिज की, जो ट्रेंड सेट कर रहा है।
निष्कर्ष: कानून की जीत या सियासी दबाव?

रामपुर कोर्ट का फैसला आजम परिवार के लिए नया संकट लाया है, लेकिन अपील का रास्ता खुला है। सपा इसे “BJP का हथकंडा” बता रही है, जबकि BJP ईमानदारी की मिसाल। रामपुर की सड़कों पर तनाव बरकरार क्या यह सियासत का नया अध्याय बनेगा? ताजा अपडेट के लिए अमर उजाला या हिंदुस्तान लाइव फॉलो करें।

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